tag:blogger.com,1999:blog-18975465912587233192024-02-08T11:09:16.076-08:00 तंत्र मंत्र यंत्रspritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-19690977659550611862012-05-18T01:21:00.000-07:002012-05-18T01:21:39.688-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
गुप्त-सप्तशती<br />
सात सौ मन्त्रों की 'श्री दुर्गा सप्तशती, का पाठ करने से साधकों का जैसा कल्याण होता है, वैसा-ही कल्याणकारी इसका पाठ है। यह 'गुप्त-सप्तशती' प्रचुर मन्त्र-बीजों के होने से आत्म-कल्याणेछु साधकों के लिए अमोघ फल-प्रद है।<br />
इसके पाठ का क्रम इस प्रकार है। प्रारम्भ में 'कुञ्जिका-स्तोत्र', उसके बाद 'गुप्त-सप्तशती', तदन्तर 'स्तवन' का पाठ करे।<br />
<br />
कुञ्जिका-स्तोत्र<br />
।।पूर्व-पीठिका-ईश्वर उवाच।।<br />
श्रृणु देवि, प्रवक्ष्यामि कुञ्जिका-मन्त्रमुत्तमम्।<br />
येन मन्त्रप्रभावेन चण्डीजापं शुभं भवेत्॥1॥<br />
न वर्म नार्गला-स्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।<br />
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासं च न चार्चनम्॥2॥<br />
कुञ्जिका-पाठ-मात्रेण दुर्गा-पाठ-फलं लभेत्।<br />
अति गुह्यतमं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥ 3॥<br />
गोपनीयं प्रयत्नेन स्व-योनि-वच्च पार्वति।<br />
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।<br />
पाठ-मात्रेण संसिद्धिः कुञ्जिकामन्त्रमुत्तमम्॥ 4॥<br />
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<br />
अथ मंत्र<br />
<br />
ॐ श्लैं दुँ क्लीं क्लौं जुं सः ज्वलयोज्ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल प्रबल-प्रबल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा<br />
॥ इति मंत्रः॥<br />
इस 'कुञ्जिका-मन्त्र' का यहाँ दस बार जप करे। इसी प्रकार 'स्तव-पाठ' के अन्त में पुनः इस मन्त्र का दस बार जप कर 'कुञ्जिका स्तोत्र' का पाठ करे।<br />
<br />
।।कुञ्जिका स्तोत्र मूल-पाठ।।<br />
नमस्ते रुद्र-रूपायै, नमस्ते मधु-मर्दिनि।<br />
नमस्ते कैटभारी च, नमस्ते महिषासनि॥<br />
नमस्ते शुम्भहंत्रेति, निशुम्भासुर-घातिनि।<br />
जाग्रतं हि महा-देवि जप-सिद्धिं कुरुष्व मे॥<br />
ऐं-कारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रति-पालिका॥<br />
क्लीं-कारी कामरूपिण्यै बीजरूपा नमोऽस्तु ते।<br />
चामुण्डा चण्ड-घाती च यैं-कारी वर-दायिनी॥<br />
विच्चे नोऽभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि॥<br />
धां धीं धूं धूर्जटेर्पत्नी वां वीं वागेश्वरी तथा।<br />
क्रां क्रीं श्रीं मे शुभं कुरु, ऐं ॐ ऐं रक्ष सर्वदा।।<br />
ॐ ॐ ॐ-कार-रुपायै, ज्रां-ज्रां ज्रम्भाल-नादिनी।<br />
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि, शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥<br />
ह्रूं ह्रूं ह्रूं-काररूपिण्यै ज्रं ज्रं ज्रम्भाल-नादिनी।<br />
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवानि ते नमो नमः॥7॥<br />
।।मन्त्र।।<br />
अं कं चं टं तं पं यं शं बिन्दुराविर्भव, आविर्भव, हं सं लं क्षं मयि जाग्रय-जाग्रय, त्रोटय-त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥<br />
<br />
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी तथा॥<br />
म्लां म्लीं म्लूं दीव्यती पूर्णा, कुञ्जिकायै नमो नमः।।<br />
सां सीं सप्तशती-सिद्धिं, कुरुष्व जप-मात्रतः॥<br />
इदं तु कुञ्जिका-स्तोत्रं मंत्र-जाल-ग्रहां प्रिये।<br />
अभक्ते च न दातव्यं, गोपयेत् सर्वदा श्रृणु।।<br />
कुंजिका-विहितं देवि यस्तु सप्तशतीं पठेत्।<br />
न तस्य जायते सिद्धिं, अरण्ये रुदनं यथा॥<br />
। इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।<br />
<br />
गुप्त-सप्तशती<br />
ॐ ब्रीं-ब्रीं-ब्रीं वेणु-हस्ते, स्तुत-सुर-बटुकैर्हां गणेशस्य माता।<br />
स्वानन्दे नन्द-रुपे, अनहत-निरते, मुक्तिदे मुक्ति-मार्गे।।<br />
हंसः सोहं विशाले, वलय-गति-हसे, सिद्ध-देवी समस्ता।<br />
हीं-हीं-हीं सिद्ध-लोके, कच-रुचि-विपुले, वीर-भद्रे नमस्ते।।१<br />
<br />
ॐ हींकारोच्चारयन्ती, मम हरति भयं, चण्ड-मुण्डौ प्रचण्डे।<br />
खां-खां-खां खड्ग-पाणे, ध्रक-ध्रक ध्रकिते, उग्र-रुपे स्वरुपे।।<br />
हुँ-हुँ हुँकांर-नादे, गगन-भुवि-तले, व्यापिनी व्योम-रुपे।<br />
हं-हं हंकार-नादे, सुर-गण-नमिते, चण्ड-रुपे नमस्ते।।२<br />
<br />
ऐं लोके कीर्तयन्ती, मम हरतु भयं, राक्षसान् हन्यमाने।<br />
घ्रां-घ्रां-घ्रां घोर-रुपे, घघ-घघ-घटिते, घर्घरे घोर-रावे।।<br />
निर्मांसे काक-जंघे, घसित-नख-नखा, धूम्र-नेत्रे त्रि-नेत्रे।<br />
हस्ताब्जे शूल-मुण्डे, कुल-कुल ककुले, सिद्ध-हस्ते नमस्ते।।३<br />
<br />
ॐ क्रीं-क्रीं-क्रीं ऐं कुमारी, कुह-कुह-मखिले, कोकिलेनानुरागे।<br />
मुद्रा-संज्ञ-त्रि-रेखा, कुरु-कुरु सततं, श्री महा-मारि गुह्ये।।<br />
तेजांगे सिद्धि-नाथे, मन-पवन-चले, नैव आज्ञा-निधाने।<br />
ऐंकारे रात्रि-मध्ये, स्वपित-पशु-जने, तत्र कान्ते नमस्ते।।४<br />
<br />
ॐ व्रां-व्रीं-व्रूं व्रैं कवित्वे, दहन-पुर-गते रुक्मि-रुपेण चक्रे।<br />
त्रिः-शक्तया, युक्त-वर्णादिक, कर-नमिते, दादिवं पूर्व-वर्णे।।<br />
ह्रीं-स्थाने काम-राजे, ज्वल-ज्वल ज्वलिते, कोशिनि कोश-पत्रे।<br />
स्वच्छन्दे कष्ट-नाशे, सुर-वर-वपुषे, गुह्य-मुण्डे नमस्ते।।५<br />
<br />
ॐ घ्रां-घ्रीं-घ्रूं घोर-तुण्डे, घघ-घघ घघघे घर्घरान्याङि्घ्र-घोषे।<br />
ह्रीं क्रीं द्रूं द्रोञ्च-चक्रे, रर-रर-रमिते, सर्व-ज्ञाने प्रधाने।।<br />
द्रीं तीर्थेषु च ज्येष्ठे, जुग-जुग जजुगे म्लीं पदे काल-मुण्डे।<br />
सर्वांगे रक्त-धारा-मथन-कर-वरे, वज्र-दण्डे नमस्ते।।६<br />
<br />
ॐ क्रां क्रीं क्रूं वाम-नमिते, गगन गड-गडे गुह्य-योनि-स्वरुपे।<br />
वज्रांगे, वज्र-हस्ते, सुर-पति-वरदे, मत्त-मातंग-रुढे।।<br />
स्वस्तेजे, शुद्ध-देहे, लल-लल-ललिते, छेदिते पाश-जाले।<br />
किण्डल्याकार-रुपे, वृष वृषभ-ध्वजे, ऐन्द्रि मातर्नमस्ते।।७<br />
<br />
ॐ हुँ हुँ हुंकार-नादे, विषमवश-करे, यक्ष-वैताल-नाथे।<br />
सु-सिद्धयर्थे सु-सिद्धैः, ठठ-ठठ-ठठठः, सर्व-भक्षे प्रचण्डे।।<br />
जूं सः सौं शान्ति-कर्मेऽमृत-मृत-हरे, निःसमेसं समुद्रे।<br />
देवि, त्वं साधकानां, भव-भव वरदे, भद्र-काली नमस्ते।।८<br />
<br />
ब्रह्माणी वैष्णवी त्वं, त्वमसि बहुचरा, त्वं वराह-स्वरुपा।<br />
त्वं ऐन्द्री त्वं कुबेरी, त्वमसि च जननी, त्वं कुमारी महेन्द्री।।<br />
ऐं ह्रीं क्लींकार-भूते, वितल-तल-तले, भू-तले स्वर्ग-मार्गे।<br />
पाताले शैल-श्रृंगे, हरि-हर-भुवने, सिद्ध-चण्डी नमस्ते।।९<br />
<br />
हं लं क्षं शौण्डि-रुपे, शमित भव-भये, सर्व-विघ्नान्त-विघ्ने।<br />
गां गीं गूं गैं षडंगे, गगन-गति-गते, सिद्धिदे सिद्ध-साध्ये।।<br />
वं क्रं मुद्रा हिमांशोर्प्रहसति-वदने, त्र्यक्षरे ह्सैं निनादे।<br />
हां हूं गां गीं गणेशी, गज-मुख-जननी, त्वां महेशीं नमामि।।१०<br />
<br />
स्तवन<br />
या देवी खड्ग-हस्ता, सकल-जन-पदा, व्यापिनी विशऽव-दुर्गा।<br />
श्यामांगी शुक्ल-पाशाब्दि जगण-गणिता, ब्रह्म-देहार्ध-वासा।।<br />
ज्ञानानां साधयन्ती, तिमिर-विरहिता, ज्ञान-दिव्य-प्रबोधा।<br />
सा देवी, दिव्य-मूर्तिर्प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।१<br />
<br />
ॐ हां हीं हूं वर्म-युक्ते, शव-गमन-गतिर्भीषणे भीम-वक्त्रे।<br />
क्रां क्रीं क्रूं क्रोध-मूर्तिर्विकृत-स्तन-मुखे, रौद्र-दंष्ट्रा-कराले।।<br />
कं कं कंकाल-धारी भ्रमप्ति, जगदिदं भक्षयन्ती ग्रसन्ती-<br />
हुंकारोच्चारयन्ती प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।२<br />
<br />
ॐ ह्रां ह्रीं हूं रुद्र-रुपे, त्रिभुवन-नमिते, पाश-हस्ते त्रि-नेत्रे।<br />
रां रीं रुं रंगे किले किलित रवा, शूल-हस्ते प्रचण्डे।।<br />
लां लीं लूं लम्ब-जिह्वे हसति, कह-कहा शुद्ध-घोराट्ट-हासैः।<br />
कंकाली काल-रात्रिः प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।३<br />
<br />
ॐ घ्रां घ्रीं घ्रूं घोर-रुपे घघ-घघ-घटिते घर्घराराव घोरे।<br />
निमाँसे शुष्क-जंघे पिबति नर-वसा धूम्र-धूम्रायमाने।।<br />
ॐ द्रां द्रीं द्रूं द्रावयन्ती, सकल-भुवि-तले, यक्ष-गन्धर्व-नागान्।<br />
क्षां क्षीं क्षूं क्षोभयन्ती प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।४<br />
<br />
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रूं भद्र-काली, हरि-हर-नमिते, रुद्र-मूर्ते विकर्णे।<br />
चन्द्रादित्यौ च कर्णौ, शशि-मुकुट-शिरो वेष्ठितां केतु-मालाम्।।<br />
स्त्रक्-सर्व-चोरगेन्द्रा शशि-करण-निभा तारकाः हार-कण्ठे।<br />
सा देवी दिव्य-मूर्तिः, प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।५<br />
<br />
ॐ खं-खं-खं खड्ग-हस्ते, वर-कनक-निभे सूर्य-कान्ति-स्वतेजा।<br />
विद्युज्ज्वालावलीनां, भव-निशित महा-कर्त्रिका दक्षिणेन।।<br />
वामे हस्ते कपालं, वर-विमल-सुरा-पूरितं धारयन्ती।<br />
सा देवी दिव्य-मूर्तिः प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।६<br />
<br />
ॐ हुँ हुँ फट् काल-रात्रीं पुर-सुर-मथनीं धूम्र-मारी कुमारी।<br />
ह्रां ह्रीं ह्रूं हन्ति दुष्टान् कलित किल-किला शब्द अट्टाट्टहासे।।<br />
हा-हा भूत-प्रभूते, किल-किलित-मुखा, कीलयन्ती ग्रसन्ती।<br />
हुंकारोच्चारयन्ती प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।७<br />
<br />
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं कपालीं परिजन-सहिता चण्डि चामुण्डा-नित्ये।<br />
रं-रं रंकार-शब्दे शशि-कर-धवले काल-कूटे दुरन्ते।।<br />
हुँ हुँ हुंकार-कारि सुर-गण-नमिते, काल-कारी विकारी।<br />
त्र्यैलोक्यं वश्य-कारी, प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।८<br />
<br />
वन्दे दण्ड-प्रचण्डा डमरु-डिमि-डिमा, घण्ट टंकार-नादे।<br />
नृत्यन्ती ताण्डवैषा थथ-थइ विभवैर्निर्मला मन्त्र-माला।।<br />
रुक्षौ कुक्षौ वहन्ती, खर-खरिता रवा चार्चिनि प्रेत-माला।<br />
उच्चैस्तैश्चाट्टहासै, हह हसित रवा, चर्म-मुण्डा प्रचण्डे।।९<br />
<br />
ॐ त्वं ब्राह्मी त्वं च रौद्री स च शिखि-गमना त्वं च देवी कुमारी।<br />
त्वं चक्री चक्र-हासा घुर-घुरित रवा, त्वं वराह-स्वरुपा।।<br />
रौद्रे त्वं चर्म-मुण्डा सकल-भुवि-तले संस्थिते स्वर्ग-मार्गे।<br />
पाताले शैल-श्रृंगे हरि-हर-नमिते देवि चण्डी नमस्ते।।१०<br />
<br />
रक्ष त्वं मुण्ड-धारी गिरि-गुह-विवरे निर्झरे पर्वते वा।<br />
संग्रामे शत्रु-मध्ये विश विषम-विषे संकटे कुत्सिते वा।।<br />
व्याघ्रे चौरे च सर्पेऽप्युदधि-भुवि-तले वह्नि-मध्ये च दुर्गे।<br />
रक्षेत् सा दिव्य-मूर्तिः प्रदहतु दुरितं मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।११<br />
<br />
इत्येवं बीज-मन्त्रैः स्तवनमति-शिवं पातक-व्याधि-नाशनम्।<br />
प्रत्यक्षं दिव्य-रुपं ग्रह-गण-मथनं मर्दनं शाकिनीनाम्।।<br />
इत्येवं वेद-वेद्यं सकल-भय-हरं मन्त्र-शक्तिश्च नित्यम्।<br />
मन्त्राणां स्तोत्रकं यः पठति स लभते प्रार्थितां मन्त्र-सिद्धिम्।।१२<br />
<br />
चं-चं-चं चन्द्र-हासा चचम चम-चमा चातुरी चित्त-केशी।<br />
यं-यं-यं योग-माया जननि जग-हिता योगिनी योग-रुपा।।<br />
डं-डं-डं डाकिनीनां डमरुक-सहिता दोल हिण्डोल डिम्भा।<br />
रं-रं-रं रक्त-वस्त्रा सरसिज-नयना पातु मां देवि दुर्गा।।१३</div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-86480461669887562852012-05-18T00:21:00.000-07:002012-05-18T01:19:29.744-07:00महासिद्ध गुरू मत्स्येन्द्रनाथ चालीसा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="color: #990000;">
</div>
<div class="MsoNoSpacing" style="color: #990000;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">गणपति</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">गिरजा</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">पुत्र</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">को</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सुवरु</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">बारम्बार</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">।</span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">हाथ</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">जोड़</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">विन</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">ती</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">करु</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">शारदा</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">नाम</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">आधार</span><span lang="HI" style="color: #990000;"> </span><span lang="HI" style="color: #990000; font-family: "Mangal","serif";">॥</span></div>
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<br /></div>
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</div>
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<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सत्य</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">श्री</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आकाम</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">ॐ</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">नमः</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आदेश</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">।</span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">माता</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">पिता</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">कुलगुरू</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">देवता</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सत्संग</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">को</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आदेश</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">॥</span></div>
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<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आकाश</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">चन्द्र</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सूरज</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">पावन</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">पाणी</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">को</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आदेश</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">।</span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">नव</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">नाथ</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">चौरासी</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सिद्ध</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">अनन्त</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">कोटी</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सिद्धो</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">को</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आदेश</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">॥</span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सकल</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">लोक</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">के</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सर्व</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सन्तो</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">को</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सत</span>-<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सत</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आदेश</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">॥</span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">सतगुरू</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">मछेन्द्रनाथ</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">को</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">ह्रदय</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">पुष्प</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">अर्पित</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">कर</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">आदेश</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">॥</span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">।</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">ॐ</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">नमः</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">शिवाय</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif";">।</span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<br /></div>
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</div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जय</span><span style="line-height: 115%;"> - </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जय</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्रनाथ</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अविनाशी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कृपा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">करो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुरूदेव</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">प्रकाशी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जय</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span style="line-height: 115%;">- </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जय</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्रनाथ</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुण</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ज्ञानी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">इच्छा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">रूप</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">योगी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">वरदानी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><br />
<a name='more'></a><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> अलख</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">निरंजन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नामा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सदा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">करो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">भक्तन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हित</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कामा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नाम</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कोइ</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जन्म</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जन्म</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">के</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">दु</span><span style="line-height: 115%;">:</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ख</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मिट</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कोइ</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नाम</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सुनावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">भूत</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पिशाच</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">निक्ट</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नहीं</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">आवे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ज्ञान</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">योग</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">से</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">रूप</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">वर्णत</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">न</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">निराकार</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">निर्वाणी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">महिमा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">वेद</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ना</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जानी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">घट</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span style="line-height: 115%;">- </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">घट</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">के</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अन्तर्यामी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सिद्ध</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">चौरासी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">करे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">प्रणामी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">भस्म</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अंग</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गल</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नाद</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">विराजे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जटा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सीस</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अति</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सुन्दर</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">साजे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">बिन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">देव</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">और</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नहीं</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">दूजा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">देव</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मुनि</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">करते</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पूजा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">चिदानन्द</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सन्तन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हितकारी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मंगल</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">करण</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अमंगल</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हारी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पूर्ण</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ब्रह्म</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सकल</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">घटवासी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सकल</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">प्रकाशी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र</span><span style="line-height: 115%;">-</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कोइ</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ध्यावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ब्रह्म</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">रूप</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">के</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">दर्शन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">शंकर</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">रूप</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">धर</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">डमरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">बाजे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कानन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कुण्डल</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सुन्दर</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">साजे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नित्यानन्द</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">है</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नाम</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">असुर</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मार</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">भक्तन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">रखवारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अति</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">विशाल</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">है</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">रूप</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सुर</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">नर</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मुनि</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पावे</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">न</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span><span style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">दीन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">बन्धु</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">दीन</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हितकारी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हरो</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पाप</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हम</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">शरण</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारी</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">योग युक्ति में हो प्रकाशा । सदा करो सन्तन तन
वासा ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">प्रातःकाल ले नाम </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">तुम्हारा</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> । सिद्धि बड़े अरू योग प्रचारा ॥</span><span lang="HI" style="line-height: 115%;"></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हठ</span><span style="line-height: 115%;">-</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हठ</span><span style="line-height: 115%;">-</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हठ </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र हठीले । मार</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">-<span lang="HI">मार बैरी के कीले ॥</span></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">चल</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">-<span lang="HI">चल</span>-<span lang="HI">चल गुरू</span></span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र विकराला । दुश्मन
मार करो बेहाला ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जय</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">-<span lang="HI">जय</span>-<span lang="HI">जय गुरू</span></span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र अविनाशी । अपने जन
की हरो चौरासी ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अचल अगम है गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र
योगी । सिद्धि देवो हरो रसभोगी ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">काटो मार्ग यम को तुम आई । तुम बिन मेरा कौन साहाई
॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अजर अमर है तुम्हारी देहा । सनकादिक सब जो रही
नेहा ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा । हे प्रसिद्ध जगत उजियारा
॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">योगी लिखे तुम्हारी माया । पार ब्रह्म से ध्यान
लगाया ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">ध्यान तुम्हारा जो कोइ लावे । अष्ट सिद्धि नव निधि
धर पावे ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">शिव मछेन्द्र है नाम तुम्हारा । पापी इष्ट अधम
को तारा ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अगम अगोचर निर्भय नाथा । सदा रहो सन्तन के साथा
॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">शंकर रूप अवतार तुम्हारा । गोरख</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">गोपीचन्द्र भरथरी को तारा ॥</span></span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सुन लीजो प्रभु अरज हमारी । कृपा सिन्धु योगी चमत्कारी
॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पूर्ण आस दास कीजे । सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">पतित पावन अधम अधारा । तिनके हेतु तुम लेत अवतारा
॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अलख निरंजन नाम तुम्हारा । अगम पथ जिन योग प्रचारा
॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जय</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">-<span lang="HI">जय</span>-<span lang="HI">जय गुरू</span></span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र भगवाना । सदा करो
भक्तन कल्याना ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जय</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">-<span lang="HI">जय</span>-<span lang="HI">जय गुरू</span></span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र अविनाशी । सेवा करे
सिद्ध चौरासी ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">जो यह पढ़हि गुरू</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्र
चालीसा । होय सिद्ध साक्षी जगदीशा ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हाथ जोड़कर ध्यान लगावे । और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे
॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">बारह पाठ पढ़े नित जोई । मनोकामना पूर्ण होई ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> <b> </b><b>-<span lang="HI">दोहा</span>-</b></span></div>
<div class="MsoNormal" style="color: #cc0000;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सुने सुनावे प्रेम वश</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">पूजे अपने हाथ ।</span></span></div>
<div class="MsoNormal" style="color: #cc0000;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मन इच्छा सब कामना</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">पूरे गुरू</span></span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">मछेन्द्रनाथ ॥</span></div>
<div class="MsoNormal" style="color: #cc0000;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">अगम अगोचर नाथ तुम</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">पार ब्रह्म अवतार ।</span></span></div>
<div class="MsoNormal" style="color: #cc0000;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">कानन कुंडल सिर जटा</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">अंविभूति अपार ।</span></span></div>
<div class="MsoNormal" style="color: #cc0000;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">सिद्ध पुरुष योगेश्वरी</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">दो मुझको उपदेश ॥</span></span></div>
<div class="MsoNormal" style="color: #cc0000;">
<span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">हर समय सेवा करू</span><span style="font-family: "Mangal","serif"; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">सुबह शाम आदेश ॥ </span></span></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<br /></div>
<div class="MsoNoSpacing">
<br /></div>
</div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-81844403941848203812011-07-23T06:52:00.000-07:002012-05-18T01:20:28.230-07:00बजरंग बाण<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग <br />
अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।<br />
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ। बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।<br />
जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।<br />
गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।<br />
<a name='more'></a><br />
<br />
<b><b>बजरंग बाण ध्यान</b></b><br />
<b> </b><b><span style="color: red;">श्रीराम<br />
</span>अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।<br />
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।<br />
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।<br />
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।</b><br />
<b> </b><b><b>दोहा</b><br />
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।<br />
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।</b><br />
<br />
<br />
<b><b>चौपाई</b><br />
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।<br />
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।<br />
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।<br />
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।<br />
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।<br />
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।<br />
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।<br />
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।<br />
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।<br />
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।<br />
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।<br />
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।<br />
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।<br />
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।<br />
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।<br />
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।<br />
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।<br />
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।<br />
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।<br />
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।<br />
जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।<br />
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।<br />
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।<br />
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।<br />
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।<br />
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।<br />
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।<br />
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।<br />
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।<br />
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।<br />
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।<br />
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।<br />
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।<br />
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।<br />
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।<br />
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।<br />
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।<br />
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।<br />
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।<br />
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।<br />
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।<br />
विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।<br />
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।<br />
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।<br />
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।<br />
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।<br />
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।<br />
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।<br />
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।<br />
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।<br />
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।<br />
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।<br />
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।<br />
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।<br />
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।<br />
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।<br />
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।<br />
<b>दोहा</b></b> <b><br />
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।<br />
तेहि के कारज तुरत ही, <span style="color: red;">सिद्ध करैं हनुमान।।</span></b></div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-64114481112801835982011-07-19T07:23:00.000-07:002012-05-18T01:11:54.541-07:00shree sukta<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
Aum hiranya varanaam harinim su-varna rajat srajaam<br />
Chandraam hiranya mayim Lakshmi jaat vedo ma aavaha<br />
Aum taam ma aavaha jaat vedo Lakshmi-man-pagaa-minim<br />
Yasyaam hiranyam vinde-yam gaam-asvam purushaan-ham<br />
asva purvaam rath madhyaam hasti naad pra-bodhinim<br />
Sriyam Devi mup-havye Srir-maa Devi-jush-taam<br />
kamso-smitaam hiranya-praakaaraam- aardhraam jvalantim truptaam tarpayantim<br />
Padma-sthitaam padma-varnaam taami-hop-havye Sriyam<br />
chandraam prabhaa-saam yash-saa jvalantim Sriyam loke dev-jushtaamudaaraam<br />
Taam padmini-mim sharanam-aham pra-padhye a-Lakshmir-me nashyan-taam<br />
tvaam vrune<br />
Aaditya-varane tapaso-adhi-jato vanas-pati-stava-vruksho-atha bilvaha<br />
Tasya falaani tapasaa-nudantu maayaa-anta- raayaa-scha baahyaa a-Lakshmi-hi<br />
upeiy-tu maam Dev-sakha-ha kirti-scha maninaa saha<br />
Praadur-bhuto su-raashtre-asmin kirtim-vrudhim dadaatu me<br />
Kshutpi-paasaa-malaam jyeshtaam -a-Lakshmim naash-yaamya-ham<br />
Abhutim-a-samrudhim cha sarvaa -nirnud me gruhaat<br />
Gandha-dvaaraam duraa-dharshaam nitya-pushtaam karishi-nim<br />
Ishvariim sarva-bhutaanaam taami-hop-havye Sriyam<br />
Manasaha kaam-maa-kutim vaacha-ha satya-mashi-mahi<br />
Pashu-naam rup-manya-sya mayi Srihi srayataam yasha-ha<br />
Kardamen prajaa bhutaa mayi sambhava kardam<br />
Sriyam vaasaya me kule Maataram padma-maali-nim<br />
Aapaha srajantu snig-dhaani chiklit vasa me gruhe<br />
Ni cha Devim Maataram Sriyam vaasaya me kule<br />
Aardhraam push-karinim pushtim pinglaam padma maali-nim<br />
Chandraam hiranya-mayim Lakshmim jaat-vedo ma aavaha<br />
aardhraam yah-kari-nim yashtim suvarna-aam hem-maali-nim<br />
Suryaam hiranya-mayim Lakshmim jaat-vedo ma aavaha<br />
Taam ma aavaha jaat-vedo Lakshmi-man-pagaa-nim<br />
Yasyaam hiranyam pra-bhutam gaavo-daasyo-asvaan vindeyam purushaan-ham<br />
yaha shuchi-hi preyato bhut-vaa juhu-daayaa-jya-manva-ham<br />
Suktam panch-dashar-cham cha Sri-kaam-ha satatam japet<br />
Sarsij-nilaye saroj-haste dhaval-taraam-shuk gandh-maalya-shobhe<br />
Bhagavati-Hari-vallabhe-mano-gne tri-bhuvan-bhuti-kari prasid mahyam<br />
Asva-daaye gow-daaye dhan-daaye mahaa-dhane<br />
Dhanam me jush-taam Devi sarva kaamaa-scha dehi me<br />
Putra poutra-dhanam dhaanyam hastya-asvaadig-veratham<br />
Prajaanaam bhavasi Maataa aayush-mantam karotu me<br />
Dhanam-agnir dhanam-vaayur dhanam-Suryo dhanam-vasuha<br />
Dhanam-Indro Bruhaspatir-Varunam dhanam-ishvarou<br />
Veinate Somam piba Somam pibatu vrutra-haa<br />
Somam dhana-asya Somino mahyam dadaatu Sominaha<br />
Na krodho na cha maatsarya na lobho na-ashubhaa mati-hi<br />
Bhavanti krun-punyaa-naam bhaktaa-naam Sri-suktam japet<br />
Padma-nane padma karu padma sambha-ve<br />
Tanme bhajasi Padma-aakshi yen soukhyam labhaa-mya-ham<br />
Vishnu patnim ksha-maam Devim Maadhavim Maadhav priyaam<br />
Vishnu priya sakhim Devim namaam-yam nyut Vallabhaam<br />
Mahaa Lakshamim cha vidmahe Vishnu patnim cha dhi-mahi<br />
Tanno Lakshami-hi prachodayaat<br />
Padmaa-nane padmini padma-patre padma-priye padma-dalaa-yataaxi<br />
Vishva-priye vishva-manonu-kule tvat-paad-padma-mayi san-nidhat-sva<br />
Aanand kardama-ha Sri-daha chiklit iti vi-srutaa-haa<br />
Rushaya-ha Sri-va-putraas-cha mayii Sri-Devi devtaa<br />
Run-rogaadi daaridhra-yam paapam cha ap-mrutya-va-ha<br />
Bhaya-shouk-manas-taapaa nash-yantu mama sarva-daa<br />
Sri-varcha-strayam-aayuyshyam-aarogya maavidhaat-pav-maanam mahi-yate<br />
Dhanam-dhaanyam pashum bahu putra-laabham shat samvat-saram dirghamaayu-<br />
hu<br />
Aum Sri Mahaa-Kaali Mahaa-Lakshmi Mahaa-Saraswati<br />
Trigunaatmikaa Chandikaaye namah</div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-74064403180288699982011-07-15T02:35:00.001-07:002011-07-15T02:35:41.336-07:00“ॐ नमः कर घोर-रुपिणि स्वाहा”<br />
विधिः उक्त मन्त्र का जप प्रातः ११ माला देवी के किसी सिद्ध स्थान या नित्य पूजन स्थान पर करे। रात्रि में १०८ मिट्टी के दाने लेकर किसी कुएँ पर तथा सिद्ध-स्थान या नित्य-पूजन-स्थान की तरफ मुख करके दायाँ पैर कुएँ में लटकाकर व बाँएँ पैर को दाएँ पैर पर रखकर बैठे। प्रति-जप के साथ एक-एक करके १०८ मिट्टी के दाने कुएँ में डाले। ग्तारह दिन तक इसी प्रकार करे। यह प्रयोग शीघ्र आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए है।spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-20019567711262360592011-07-03T07:07:00.001-07:002012-05-18T01:21:55.550-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>।। नारायणास्त्रम् ।।</b><br />
हरिः ॐ नमो भगवते श्रीनारायणाय नमो नारायणाय विश्वमूर्तये नमः श्री पुरुषोत्तमाय पुष्पदृष्टिं प्रत्यक्षं वा परोक्षं अजीर्णं पञ्चविषूचिकां हन हन ऐकाहिकं द्वयाहिकं त्र्याहिकं चातुर्थिकं ज्वरं नाशय नाशय चतुरशितिवातानष्टादशकुष्ठान् अष्टादशक्षय रोगान् हन हन सर्वदोषान् भंजय भंजय तत्सर्वं नाशय नाशय आकर्षय आकर्षय शत्रून् शत्रून् मारय मारय उच्चाटयोच्चाटय विद्वेषय विदे्वेषय स्तंभय स्तंभय निवारय निवारय विघ्नैर्हन विघ्नैर्हन दह दह मथ मथ विध्वंसय विध्वंसय चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ चक्रेण हत्वा परविद्यां छेदय छेदय भेदय भेदय चतुःशीतानि विस्फोटय विस्फोटय अर्शवातशूलदृष्टि सर्पसिंहव्याघ्र द्विपदचतुष्पद पद बाह्यान्दिवि भुव्यन्तरिक्षे अन्येऽपि केचित् तान्द्वेषकान्सर्वान् हन हन विद्युन्मेघनदी पर्वताटवीसर्वस्थान रात्रिदिनपथचौरान् वशं कुरु कुरु हरिः ॐ नमो भगवते ह्रीं हुं फट् स्वाहा ठः ठं ठं ठः नमः ।।<br />
<a name='more'></a><br />
<b>।। विधानम् ।।</b><br />
एषा विद्या महानाम्नी पुरा दत्ता मरुत्वते ।<br />
असुराञ्जितवान्सर्वाञ्च्छ क्रस्तु बलदानवान् ।। १।।<br />
यः पुमान्पठते भक्त्या वैष्णवो नियतात्मना ।<br />
तस्य सर्वाणि सिद्धयन्ति यच्च दृष्टिगतं विषम् ।। २।।<br />
अन्यदेहविषं चैव न देहे संक्रमेद्ध्रुवम् ।<br />
संग्रामे धारयत्यङ्गे शत्रून्वै जयते क्षणात् ।। ३।।<br />
अतः सद्यो जयस्तस्य विघ्नस्तस्य न जायते ।<br />
किमत्र बहुनोक्तेन सर्वसौभाग्यसंपदः ।। ४।।<br />
लभते नात्र संदेहो नान्यथा तु भवेदिति ।<br />
गृहीतो यदि वा येन बलिना विविधैरपि ।। ५।।<br />
शतिं समुष्णतां याति चोष्णं शीतलतां व्रजेत् ।<br />
अन्यथां न भवेद्विद्यां यः पठेत्कथितां मया ।। ६।।<br />
भूर्जपत्रे लिखेन्मंत्रं गोरोचनजलेन च ।<br />
इमां विद्यां स्वके बद्धा सर्वरक्षां करोतु मे ।। ७।।<br />
पुरुषस्याथवा स्त्रीणां हस्ते बद्धा विचेक्षणः ।<br />
विद्रवंति हि विघ्नाश्च न भवंति कदाचनः ।। ८।।<br />
न भयं तस्य कुर्वंति गगने भास्करादयः ।<br />
भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रामग्राही तु डाकिनी ।। ९।।<br />
शाकिनीषु महाघोरा वेतालाश्च महाबलाः ।<br />
राक्षसाश्च महारौद्रा दानवा बलिनो हि ये ।। १०।।<br />
असुराश्च सुराश्चैव अष्टयोनिश्च देवता ।<br />
सर्वत्र स्तम्भिता तिष्ठेन्मन्त्रोच्चारणमात्रतः ।। ११।।<br />
सर्वहत्याः प्रणश्यंति सर्व फलानि नित्यशः ।<br />
सर्वे रोगा विनश्यंति विघ्नस्तस्य न बाधते ।। १२।।<br />
उच्चाटनेऽपराह्णे तु संध्यायां मारणे तथा ।<br />
शान्तिके चार्धरात्रे तु ततोऽर्थः सर्वकामिकः ।। १३।।<br />
इदं मन्त्ररहस्यं च नारायणास्त्रमेव च ।<br />
त्रिकालं जपते नित्यं जयं प्राप्नोति मानवः ।। १४।।<br />
आयुरारोग्यमैश्वर्यं ज्ञानं विद्यां पराक्रमः ।<br />
चिंतितार्थ सुखप्राप्तिं लभते नात्र संशयः ।। १५।।<br />
<b>।। इति नारायणास्त्रम् ।।</b></div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-90359647944672303112011-07-03T06:44:00.001-07:002012-05-18T01:21:14.340-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
गुप्त-सप्तशती<br />
सात सौ मन्त्रों की 'श्री दुर्गा सप्तशती, का पाठ करने से साधकों का जैसा कल्याण होता है, वैसा-ही कल्याणकारी इसका पाठ है। यह 'गुप्त-सप्तशती' प्रचुर मन्त्र-बीजों के होने से आत्म-कल्याणेछु साधकों के लिए अमोघ फल-प्रद है।<br />
इसके पाठ का क्रम इस प्रकार है। प्रारम्भ में 'कुञ्जिका-स्तोत्र', उसके बाद 'गुप्त-सप्तशती', तदन्तर 'स्तवन' का पाठ करे।<br />
<br />
कुञ्जिका-स्तोत्र<br />
।।पूर्व-पीठिका-ईश्वर उवाच।।<br />
श्रृणु देवि, प्रवक्ष्यामि कुञ्जिका-मन्त्रमुत्तमम्।<br />
येन मन्त्रप्रभावेन चण्डीजापं शुभं भवेत्॥1॥<br />
न वर्म नार्गला-स्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।<br />
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासं च न चार्चनम्॥2॥<br />
कुञ्जिका-पाठ-मात्रेण दुर्गा-पाठ-फलं लभेत्।<br />
अति गुह्यतमं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥ 3॥<br />
गोपनीयं प्रयत्नेन स्व-योनि-वच्च पार्वति।<br />
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।<br />
पाठ-मात्रेण संसिद्धिः कुञ्जिकामन्त्रमुत्तमम्॥ 4॥<br />
<br />
अथ मंत्र<br />
<br />
ॐ श्लैं दुँ क्लीं क्लौं जुं सः ज्वलयोज्ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल प्रबल-प्रबल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा<br />
॥ इति मंत्रः॥<br />
इस 'कुञ्जिका-मन्त्र' का यहाँ दस बार जप करे। इसी प्रकार 'स्तव-पाठ' के अन्त में पुनः इस मन्त्र का दस बार जप कर 'कुञ्जिका स्तोत्र' का पाठ करे।<br />
<a name='more'></a><br />
<br />
।।कुञ्जिका स्तोत्र मूल-पाठ।।<br />
नमस्ते रुद्र-रूपायै, नमस्ते मधु-मर्दिनि।<br />
नमस्ते कैटभारी च, नमस्ते महिषासनि॥<br />
नमस्ते शुम्भहंत्रेति, निशुम्भासुर-घातिनि।<br />
जाग्रतं हि महा-देवि जप-सिद्धिं कुरुष्व मे॥<br />
ऐं-कारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रति-पालिका॥<br />
क्लीं-कारी कामरूपिण्यै बीजरूपा नमोऽस्तु ते।<br />
चामुण्डा चण्ड-घाती च यैं-कारी वर-दायिनी॥<br />
विच्चे नोऽभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि॥<br />
धां धीं धूं धूर्जटेर्पत्नी वां वीं वागेश्वरी तथा।<br />
क्रां क्रीं श्रीं मे शुभं कुरु, ऐं ॐ ऐं रक्ष सर्वदा।।<br />
ॐ ॐ ॐ-कार-रुपायै, ज्रां-ज्रां ज्रम्भाल-नादिनी।<br />
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि, शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥<br />
ह्रूं ह्रूं ह्रूं-काररूपिण्यै ज्रं ज्रं ज्रम्भाल-नादिनी।<br />
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवानि ते नमो नमः॥7॥<br />
।।मन्त्र।।<br />
अं कं चं टं तं पं यं शं बिन्दुराविर्भव, आविर्भव, हं सं लं क्षं मयि जाग्रय-जाग्रय, त्रोटय-त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥<br />
<br />
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी तथा॥<br />
म्लां म्लीं म्लूं दीव्यती पूर्णा, कुञ्जिकायै नमो नमः।।<br />
सां सीं सप्तशती-सिद्धिं, कुरुष्व जप-मात्रतः॥<br />
इदं तु कुञ्जिका-स्तोत्रं मंत्र-जाल-ग्रहां प्रिये।<br />
अभक्ते च न दातव्यं, गोपयेत् सर्वदा श्रृणु।।<br />
कुंजिका-विहितं देवि यस्तु सप्तशतीं पठेत्।<br />
न तस्य जायते सिद्धिं, अरण्ये रुदनं यथा॥<br />
। इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।<br />
<br />
गुप्त-सप्तशती<br />
ॐ ब्रीं-ब्रीं-ब्रीं वेणु-हस्ते, स्तुत-सुर-बटुकैर्हां गणेशस्य माता।<br />
स्वानन्दे नन्द-रुपे, अनहत-निरते, मुक्तिदे मुक्ति-मार्गे।।<br />
हंसः सोहं विशाले, वलय-गति-हसे, सिद्ध-देवी समस्ता।<br />
हीं-हीं-हीं सिद्ध-लोके, कच-रुचि-विपुले, वीर-भद्रे नमस्ते।।१<br />
<br />
ॐ हींकारोच्चारयन्ती, मम हरति भयं, चण्ड-मुण्डौ प्रचण्डे।<br />
खां-खां-खां खड्ग-पाणे, ध्रक-ध्रक ध्रकिते, उग्र-रुपे स्वरुपे।।<br />
हुँ-हुँ हुँकांर-नादे, गगन-भुवि-तले, व्यापिनी व्योम-रुपे।<br />
हं-हं हंकार-नादे, सुर-गण-नमिते, चण्ड-रुपे नमस्ते।।२<br />
<br />
ऐं लोके कीर्तयन्ती, मम हरतु भयं, राक्षसान् हन्यमाने।<br />
घ्रां-घ्रां-घ्रां घोर-रुपे, घघ-घघ-घटिते, घर्घरे घोर-रावे।।<br />
निर्मांसे काक-जंघे, घसित-नख-नखा, धूम्र-नेत्रे त्रि-नेत्रे।<br />
हस्ताब्जे शूल-मुण्डे, कुल-कुल ककुले, सिद्ध-हस्ते नमस्ते।।३<br />
<br />
ॐ क्रीं-क्रीं-क्रीं ऐं कुमारी, कुह-कुह-मखिले, कोकिलेनानुरागे।<br />
मुद्रा-संज्ञ-त्रि-रेखा, कुरु-कुरु सततं, श्री महा-मारि गुह्ये।।<br />
तेजांगे सिद्धि-नाथे, मन-पवन-चले, नैव आज्ञा-निधाने।<br />
ऐंकारे रात्रि-मध्ये, स्वपित-पशु-जने, तत्र कान्ते नमस्ते।।४<br />
<br />
ॐ व्रां-व्रीं-व्रूं व्रैं कवित्वे, दहन-पुर-गते रुक्मि-रुपेण चक्रे।<br />
त्रिः-शक्तया, युक्त-वर्णादिक, कर-नमिते, दादिवं पूर्व-वर्णे।।<br />
ह्रीं-स्थाने काम-राजे, ज्वल-ज्वल ज्वलिते, कोशिनि कोश-पत्रे।<br />
स्वच्छन्दे कष्ट-नाशे, सुर-वर-वपुषे, गुह्य-मुण्डे नमस्ते।।५<br />
<br />
ॐ घ्रां-घ्रीं-घ्रूं घोर-तुण्डे, घघ-घघ घघघे घर्घरान्याङि्घ्र-घोषे।<br />
ह्रीं क्रीं द्रूं द्रोञ्च-चक्रे, रर-रर-रमिते, सर्व-ज्ञाने प्रधाने।।<br />
द्रीं तीर्थेषु च ज्येष्ठे, जुग-जुग जजुगे म्लीं पदे काल-मुण्डे।<br />
सर्वांगे रक्त-धारा-मथन-कर-वरे, वज्र-दण्डे नमस्ते।।६<br />
<br />
ॐ क्रां क्रीं क्रूं वाम-नमिते, गगन गड-गडे गुह्य-योनि-स्वरुपे।<br />
वज्रांगे, वज्र-हस्ते, सुर-पति-वरदे, मत्त-मातंग-रुढे।।<br />
स्वस्तेजे, शुद्ध-देहे, लल-लल-ललिते, छेदिते पाश-जाले।<br />
किण्डल्याकार-रुपे, वृष वृषभ-ध्वजे, ऐन्द्रि मातर्नमस्ते।।७<br />
<br />
ॐ हुँ हुँ हुंकार-नादे, विषमवश-करे, यक्ष-वैताल-नाथे।<br />
सु-सिद्धयर्थे सु-सिद्धैः, ठठ-ठठ-ठठठः, सर्व-भक्षे प्रचण्डे।।<br />
जूं सः सौं शान्ति-कर्मेऽमृत-मृत-हरे, निःसमेसं समुद्रे।<br />
देवि, त्वं साधकानां, भव-भव वरदे, भद्र-काली नमस्ते।।८<br />
<br />
ब्रह्माणी वैष्णवी त्वं, त्वमसि बहुचरा, त्वं वराह-स्वरुपा।<br />
त्वं ऐन्द्री त्वं कुबेरी, त्वमसि च जननी, त्वं कुमारी महेन्द्री।।<br />
ऐं ह्रीं क्लींकार-भूते, वितल-तल-तले, भू-तले स्वर्ग-मार्गे।<br />
पाताले शैल-श्रृंगे, हरि-हर-भुवने, सिद्ध-चण्डी नमस्ते।।९<br />
<br />
हं लं क्षं शौण्डि-रुपे, शमित भव-भये, सर्व-विघ्नान्त-विघ्ने।<br />
गां गीं गूं गैं षडंगे, गगन-गति-गते, सिद्धिदे सिद्ध-साध्ये।।<br />
वं क्रं मुद्रा हिमांशोर्प्रहसति-वदने, त्र्यक्षरे ह्सैं निनादे।<br />
हां हूं गां गीं गणेशी, गज-मुख-जननी, त्वां महेशीं नमामि।।१०<br />
<br />
स्तवन<br />
या देवी खड्ग-हस्ता, सकल-जन-पदा, व्यापिनी विशऽव-दुर्गा।<br />
श्यामांगी शुक्ल-पाशाब्दि जगण-गणिता, ब्रह्म-देहार्ध-वासा।।<br />
ज्ञानानां साधयन्ती, तिमिर-विरहिता, ज्ञान-दिव्य-प्रबोधा।<br />
सा देवी, दिव्य-मूर्तिर्प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।१<br />
<br />
ॐ हां हीं हूं वर्म-युक्ते, शव-गमन-गतिर्भीषणे भीम-वक्त्रे।<br />
क्रां क्रीं क्रूं क्रोध-मूर्तिर्विकृत-स्तन-मुखे, रौद्र-दंष्ट्रा-कराले।।<br />
कं कं कंकाल-धारी भ्रमप्ति, जगदिदं भक्षयन्ती ग्रसन्ती-<br />
हुंकारोच्चारयन्ती प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।२<br />
<br />
ॐ ह्रां ह्रीं हूं रुद्र-रुपे, त्रिभुवन-नमिते, पाश-हस्ते त्रि-नेत्रे।<br />
रां रीं रुं रंगे किले किलित रवा, शूल-हस्ते प्रचण्डे।।<br />
लां लीं लूं लम्ब-जिह्वे हसति, कह-कहा शुद्ध-घोराट्ट-हासैः।<br />
कंकाली काल-रात्रिः प्रदहतु दुरितं, मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।३<br />
<br />
ॐ घ्रां घ्रीं घ्रूं घोर-रुपे घघ-घघ-घटिते घर्घराराव घोरे।<br />
निमाँसे शुष्क-जंघे पिबति नर-वसा धूम्र-धूम्रायमाने।।<br />
ॐ द्रां द्रीं द्रूं द्रावयन्ती, सकल-भुवि-तले, यक्ष-गन्धर्व-नागान्।<br />
क्षां क्षीं क्षूं क्षोभयन्ती प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।४<br />
<br />
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रूं भद्र-काली, हरि-हर-नमिते, रुद्र-मूर्ते विकर्णे।<br />
चन्द्रादित्यौ च कर्णौ, शशि-मुकुट-शिरो वेष्ठितां केतु-मालाम्।।<br />
स्त्रक्-सर्व-चोरगेन्द्रा शशि-करण-निभा तारकाः हार-कण्ठे।<br />
सा देवी दिव्य-मूर्तिः, प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।५<br />
<br />
ॐ खं-खं-खं खड्ग-हस्ते, वर-कनक-निभे सूर्य-कान्ति-स्वतेजा।<br />
विद्युज्ज्वालावलीनां, भव-निशित महा-कर्त्रिका दक्षिणेन।।<br />
वामे हस्ते कपालं, वर-विमल-सुरा-पूरितं धारयन्ती।<br />
सा देवी दिव्य-मूर्तिः प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।६<br />
<br />
ॐ हुँ हुँ फट् काल-रात्रीं पुर-सुर-मथनीं धूम्र-मारी कुमारी।<br />
ह्रां ह्रीं ह्रूं हन्ति दुष्टान् कलित किल-किला शब्द अट्टाट्टहासे।।<br />
हा-हा भूत-प्रभूते, किल-किलित-मुखा, कीलयन्ती ग्रसन्ती।<br />
हुंकारोच्चारयन्ती प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।७<br />
<br />
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं कपालीं परिजन-सहिता चण्डि चामुण्डा-नित्ये।<br />
रं-रं रंकार-शब्दे शशि-कर-धवले काल-कूटे दुरन्ते।।<br />
हुँ हुँ हुंकार-कारि सुर-गण-नमिते, काल-कारी विकारी।<br />
त्र्यैलोक्यं वश्य-कारी, प्रदहतु दुरितं चण्ड-मुण्डे प्रचण्डे।।८<br />
<br />
वन्दे दण्ड-प्रचण्डा डमरु-डिमि-डिमा, घण्ट टंकार-नादे।<br />
नृत्यन्ती ताण्डवैषा थथ-थइ विभवैर्निर्मला मन्त्र-माला।।<br />
रुक्षौ कुक्षौ वहन्ती, खर-खरिता रवा चार्चिनि प्रेत-माला।<br />
उच्चैस्तैश्चाट्टहासै, हह हसित रवा, चर्म-मुण्डा प्रचण्डे।।९<br />
<br />
ॐ त्वं ब्राह्मी त्वं च रौद्री स च शिखि-गमना त्वं च देवी कुमारी।<br />
त्वं चक्री चक्र-हासा घुर-घुरित रवा, त्वं वराह-स्वरुपा।।<br />
रौद्रे त्वं चर्म-मुण्डा सकल-भुवि-तले संस्थिते स्वर्ग-मार्गे।<br />
पाताले शैल-श्रृंगे हरि-हर-नमिते देवि चण्डी नमस्ते।।१०<br />
<br />
रक्ष त्वं मुण्ड-धारी गिरि-गुह-विवरे निर्झरे पर्वते वा।<br />
संग्रामे शत्रु-मध्ये विश विषम-विषे संकटे कुत्सिते वा।।<br />
व्याघ्रे चौरे च सर्पेऽप्युदधि-भुवि-तले वह्नि-मध्ये च दुर्गे।<br />
रक्षेत् सा दिव्य-मूर्तिः प्रदहतु दुरितं मुण्ड-चण्डे प्रचण्डे।।११<br />
<br />
इत्येवं बीज-मन्त्रैः स्तवनमति-शिवं पातक-व्याधि-नाशनम्।<br />
प्रत्यक्षं दिव्य-रुपं ग्रह-गण-मथनं मर्दनं शाकिनीनाम्।।<br />
इत्येवं वेद-वेद्यं सकल-भय-हरं मन्त्र-शक्तिश्च नित्यम्।<br />
मन्त्राणां स्तोत्रकं यः पठति स लभते प्रार्थितां मन्त्र-सिद्धिम्।।१२<br />
<br />
चं-चं-चं चन्द्र-हासा चचम चम-चमा चातुरी चित्त-केशी।<br />
यं-यं-यं योग-माया जननि जग-हिता योगिनी योग-रुपा।।<br />
डं-डं-डं डाकिनीनां डमरुक-सहिता दोल हिण्डोल डिम्भा।<br />
रं-रं-रं रक्त-वस्त्रा सरसिज-नयना पातु मां देवि दुर्गा।।१३</div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-60936815127106511392011-07-03T06:39:00.000-07:002012-05-18T01:22:09.723-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<a href="http://tamyantra.blogspot.com/">श्रीविचित्र-वीर-हनुमन्-माला-मन्त्र</a><br />
प्रस्तुत 'विचित्र-वीर-हनुमन्-माला-मन्त्र' दिव्य प्रभाव से परिपूर्ण है। इससे सभी प्रकार की बाधा, पीड़ा, दुःख का निवारण हो जाता है। शत्रु-विजय हेतु यह अनुपम अमोघ शस्त्र है। पहले प्रतिदिन इस माला मन्त्र के ११०० पाठ १० दिनों तक कर, दशांश गुग्गुल से 'हवन' करके सिद्ध कर ले। फिर आवश्यकतानुसार एक बार पाठ करने पर 'श्रीहनुमानजी' रक्षा करते हैं। सामान्य लोग प्रतिदिन केवल ११ बार पाठ करके ही अपनी कामना की पूर्ति कर सकते हैं। विनियोग, ऋष्यादि-न्यास, षडंग-न्यास, ध्यान का पाठ पहली और अन्तिम आवृत्ति में करे।<br />
<a name='more'></a><br />
विनियोगः-<br />
ॐ अस्य श्रीविचित्र-वीर-हनुमन्माला-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्रो भगवान् ऋषिः। अनुष्टुप छन्दः। श्रीविचित्र-वीर-हनुमान्-देवता। ममाभीष्ट-सिद्धयर्थे माला-मन्त्र-जपे विनियोगः।<br />
<br />
ऋष्यादि-न्यासः-<br />
श्रीरामचन्द्रो भगवान् ऋषये नमः शिरसि। अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे। श्रीविचित्र-वीर-हनुमान्-देवतायै नमः हृदि। ममाभीष्ट-सिद्धयर्थे माला-मन्त्र-जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे।<br />
<br />
षडङ्ग-न्यासः-<br />
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः (हृदयाय नमः)। ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः (शिरसे स्वाहा)। ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः (शिखायै वषट्)। ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः (कवचाय हुं)। ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः (नेत्र-त्रयाय वौषट्)। ॐ ह्रः करतल-करपृष्ठाभ्यां नमः (अस्त्राय फट्)।<br />
<br />
ध्यानः-<br />
वामे करे वैर-वहं वहन्तम्, शैलं परे श्रृखला-मालयाढ्यम्।<br />
दधानमाध्मातमु्ग्र-वर्णम्, भजे ज्वलत्-कुण्डलमाञ्नेयम्।।<br />
<br />
माला-मन्त्रः-<br />
"ॐ नमो भगवते, विचित्र-वीर-हनुमते, प्रलय-कालानल-प्रभा-ज्वलत्-प्रताप-वज्र-देहाय, अञ्जनी-गर्भ-सम्भूताय, प्रकट-विक्रम-वीर-दैत्य-दानव-यक्ष-राक्षस-ग्रह-बन्धनाय, भूत-ग्रह, प्रेत-ग्रह, पिशाच-ग्रह, शाकिनी-ग्रह, डाकिनी-ग्रह ,काकिनी-ग्रह ,कामिनी-ग्रह ,ब्रह्म-ग्रह, ब्रह्मराक्षस-ग्रह, चोर-ग्रह बन्धनाय, एहि एहि, आगच्छागच्छ, आवेशयावेशय, मम हृदयं प्रवेशय प्रवेशय, स्फुट स्फुट, प्रस्फुट प्रस्फुट, सत्यं कथय कथय, व्याघ्र-मुखं बन्धय बन्धय, सर्प-मुखं बन्धय बन्धय, राज-मुखं बन्धय बन्धय, सभा-मुखं बन्धय बन्धय, शत्रु-मुखं बन्धय बन्धय, सर्व-मुखं बन्धय बन्धय, लंका-प्रासाद-भञ्जक। सर्व-जनं मे वशमानय, श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सर्वानाकर्षयाकर्षय, शत्रून् मर्दय मर्दय, मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, खे खे श्रीरामचन्द्राज्ञया प्रज्ञया मम कार्य-सिद्धिं कुरु कुरु, मम शत्रून् भस्मी कुरु कुरु स्वाहा। ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् श्रीविचित्र-वीर-हनुमते। मम सर्व-शत्रून् भस्मी-कुरु कुरु, हन हन, हुं फट् स्वाहा।।"<br />
<br />
(प्रति-दिनमेकादश-वारं जपेत्। पूर्व-न्यास-ध्यान-पूर्वकं निवेदयेत्)</div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-42955095838081807642011-07-03T06:33:00.000-07:002012-05-18T01:22:24.658-07:00हनुमत्सहस्त्र नामावली<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 class="post-title entry-title">
हनुमत्सहस्त्र नामावली </h3>
<div class="post-header">
</div>
हनुमत्सहस्त्र नामावली<br />
विनियोगः-<br />
ॐ अस्य श्रीहनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्रमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः हनुमान देवता, अनुष्टुप छन्द, ह्रां बीजं श्रीं शक्ति, श्रीहनुमत्प्रीत्यर्थं-तद्सहस्त्रनामभिरमुकसंख्यार्थ पुष्पादिद्रव्य समर्पणे विनियोगः।<br />
<br />
ध्यानः-<br />
ध्यायेद् बालदिवाकर-द्युतिनिभ देवारिदर्पापहं<br />
देवेन्द्रमुख-प्रशा्तयकसं देदीप्यमान रुचा।<br />
सुग्रीवादिसमतवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियं<br />
संरक्तारुणलोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम्।।<br />
उद्यदादित्यसंकाशमुदारभुजविक्रमम्।<br />
कन्दर्पकोटिलावण्य सर्वविद्याविशारदम्।।<br />
श्रीरामहृदयानन्दं भक्तकल्पमहीरुहम्।<br />
अभयं वरदं दोर्म्मा चिन्तयेन्मारुतात्मजम्।।<br />
<a name='more'></a><br />
<br />
ॐ हनुमते नमः <br />
ॐ श्री प्रदाय नमः <br />
ॐ वायु पुत्राय नमः <br />
ॐ रुद्राय नमः <br />
ॐ अनघाय नमः <br />
ॐ अजराय नमः <br />
ॐ अमृत्यवे नमः <br />
ॐ वीरवीराय नमः <br />
ॐ ग्रामावासाय नमः <br />
ॐ जनाश्रयाय नमः <br />
ॐ धनदाय नमः <br />
ॐ निर्गुणाय नमः <br />
ॐ अकायाय नमः <br />
ॐ वीराय नमः <br />
ॐ निधिपतये नमः <br />
ॐ मुनये नमः <br />
ॐ पिंगाक्षाय नमः <br />
ॐ वरदाय नमः <br />
ॐ वाग्मीने नमः ।<br />
ॐ सीता-शोक-विनाशाय नमः <br />
ॐ शिवाय नमः <br />
ॐ शर्वाय नमः <br />
ॐ पराय नमः <br />
ॐ अव्यक्ताय नमः <br />
ॐ व्यक्ताव्यक्ताय नमः <br />
ॐ रसा-धराय नमः <br />
ॐ पिंग-केशाय नमः <br />
ॐ पिंग-रोमम्णे नमः ।<br />
ॐ श्रुति-गम्याय नमः <br />
ॐ सनातनाय नमः <br />
ॐ अनादये नमः <br />
ॐ भगवते नमः <br />
ॐ देवाय नमः <br />
ॐ विश्व-हेतवे नमः <br />
ॐ निरामयाय नमः <br />
ॐ आरोग्यकर्त्रे नमः ।<br />
ॐ विश्वेशाय नमः <br />
ॐ विश्वनाथाय नमः <br />
ॐ हरीश्वराय नमः <br />
ॐ भर्गाय नमः <br />
ॐ रामाय नमः <br />
ॐ राम-भक्ताय नमः <br />
ॐ कल्याणाय नमः <br />
ॐ प्रकृति-स्थिराय नमः <br />
ॐ विश्वम्भराय नमः <br />
ॐ विश्वमूर्तये नमः <br />
ॐ विश्वाकाराय नमः <br />
ॐ विश्वदाय नमः <br />
ॐ विश्वात्मने नमः <br />
ॐ विश्वसेव्याय नमः <br />
ॐ विश्वाय नमः <br />
ॐ विश्वराय नमः <br />
ॐ रवये नमः <br />
ॐ विश्व-चेष्टाय नमः <br />
ॐ विश्व-गम्याय नमः <br />
ॐ विश्व-ध्येयाय नमः <br />
ॐ कला-धराय नमः <br />
ॐ प्लवंगमाय नमः <br />
ॐ कपि-श्रेष्टाय नमः <br />
ॐ ज्येष्ठाय नमः ।<br />
ॐ विद्यावते नमः <br />
ॐ वनेचराय नमः <br />
ॐ बालाय नमः <br />
ॐ वृद्धाय नमः <br />
ॐ यूने नमः ।<br />
ॐ तत्त्वाय नमः <br />
ॐ तत्त्व-गम्याय नमः <br />
ॐ सख्ये नमः <br />
ॐ अजाय नमः <br />
ॐ अन्जना-सूनवे नमः <br />
ॐ अव्यग्राय नमः <br />
ॐ ग्राम-ख्याताय नमः <br />
ॐ धरा-धराय नमः <br />
ॐ भूर्लोकाय नमः <br />
ॐ भुवर्लोकाय नमः ।<br />
ॐ स्वर्लोकाय नमः <br />
ॐ महर्लोकाय नमः <br />
ॐ जनलोकय नमः <br />
ॐ तपसे नमः <br />
ॐ अव्ययाय नमः <br />
ॐ सत्ययाय नमः <br />
ॐ ओंकार-गम्याय नमः <br />
ॐ प्रणवाय नमः <br />
ॐ व्यापकाय नमः <br />
ॐ अमलाय नमः <br />
ॐ शिवाय नमः <br />
ॐ धर्म-प्रतिष्ठात्रे नमः ।<br />
ॐ रामेष्टाय नमः <br />
ॐ फाल्गुण-प्रियाय नमः <br />
ॐ गोष्पदिने नमः <br />
ॐ कृत-वारीशाय नमः <br />
ॐ पूर्ण-कामाय नमः <br />
ॐ धराधिपाय नमः <br />
ॐ रक्षोघ्नाय नमः <br />
ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः <br />
ॐ शरणागत-वत्सलाय नमः <br />
ॐ जानकी-प्राण-दात्रे नमः <br />
ॐ रक्षः-प्राणहारकाय नमः <br />
ॐ पूर्णाय नमः ।<br />
ॐ सत्याय नमः १००<br />
ॐ पीतवाससे नमः ।<br />
ॐ दिवाकर-समप्रभाय नमः <br />
ॐ देवोद्यान-विहारीणे नमः ।<br />
ॐ देवता-भय-भञ्जनाय नमः ।<br />
ॐ भक्तोदयाय नमः ।<br />
ॐ भक्त-लब्धाय नमः ।<br />
ॐ भक्त-पालन-तत्पराय नमः ।<br />
ॐ द्रोणहर्षाय नमः ।<br />
ॐ शक्तिनेत्राय नमः ।<br />
ॐ शक्तये नमः <br />
ॐ राक्षस-मारकाय नमः <br />
ॐ अक्षघ्नाय नमः <br />
ॐ राम-दूताय नमः <br />
ॐ शाकिनी-जीव-हारकाय नमः <br />
ॐ बुबुकार-हतारातये नमः <br />
ॐ गर्वाय नमः <br />
ॐ पर्वत-मर्दनाय नमः <br />
ॐ हेतवे नमः <br />
ॐ अहेतवे नमः <br />
ॐ प्रांशवे नमः <br />
ॐ विश्वभर्ताय नमः ।<br />
ॐ जगद्गुरवे नमः <br />
ॐ जगन्नेत्रे नमः ।<br />
ॐ जगन्नथाय नमः <br />
ॐ जगदीशाय नमः <br />
ॐ जनेश्वराय नमः <br />
ॐ जगद्धिताय नमः ।<br />
ॐ हरये नमः <br />
ॐ श्रीशाय नमः <br />
ॐ गरुडस्मयभंजनाय नमः <br />
ॐ पार्थ-ध्वजाय नमः <br />
ॐ वायु-पुत्राय नमः <br />
ॐ अमित-पुच्छाय नमः <br />
ॐ अमित-विक्रमाय नमः <br />
ॐ ब्रह्म-पुच्छाय नमः <br />
ॐ परब्रह्म-पुच्छाय नमः <br />
ॐ रामेष्ट-कारकाय नमः <br />
ॐ सुग्रीवादि-युताय नमः <br />
ॐ ज्ञानिने नमः ।<br />
ॐ वानराय नमः <br />
ॐ वानरेश्वराय नमः <br />
ॐ कल्पस्थायिने नमः ।<br />
ॐ चिरंजीविने नमः ।<br />
ॐ तपनाय नमः <br />
ॐ सदा-शिवाय नमः <br />
ॐ सन्नताय नमः <br />
ॐ सद्गते नमः <br />
ॐ भुक्ति-मुक्तिदाय नमः <br />
ॐ कीर्ति-दायकाय नमः <br />
ॐ कीर्तये नमः <br />
ॐ कीर्ति-प्रदाय नमः <br />
ॐ समुद्राय नमः <br />
ॐ श्रीप्रदाय नमः <br />
ॐ शिवाय नमः <br />
ॐ भक्तोदयाय नमः ।<br />
ॐ भक्तगम्याय नमः ।<br />
ॐ भक्त-भाग्य-प्रदायकाय नमः ।<br />
ॐ उदधिक्रमणाय नमः <br />
ॐ देवाय नमः <br />
ॐ संसार-भय-नाशनाय नमः <br />
ॐ वार्धि-बंधनकृदाय नमः ।<br />
ॐ विश्व-जेताय नमः ।<br />
ॐ विश्व-प्रतिष्ठिताय नमः <br />
ॐ लंकारये नमः <br />
ॐ कालपुरुषाय नमः <br />
ॐ लंकेश-गृह- भंजनाय नमः <br />
ॐ भूतावासाय नमः <br />
ॐ वासुदेवाय नमः <br />
ॐ वसवे नमः <br />
ॐ त्रिभुवनेश्वराय नमः <br />
ॐ श्रीराम-रुपाय नमः <br />
ॐ कृष्णस्तवे नमः <br />
ॐ लंका-प्रासाद-भंजकाय नमः <br />
ॐ कृष्णाय नमः <br />
ॐ कृष्ण-स्तुताय नमः <br />
ॐ शान्ताय नमः <br />
ॐ शान्तिदाय नमः <br />
ॐ विश्वपावनाय नमः <br />
ॐ विश्व-भोक्त्रे नमः ।<br />
ॐ मारिघ्नाय नमः <br />
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः ।<br />
ॐ जितेन्द्रियाय नमः <br />
ॐ ऊर्ध्वगाय नमः <br />
ॐ लान्गुलिने नमः ।<br />
ॐ मालिने नमः।<br />
ॐ लान्गूला-हत-राक्षसाय नमः <br />
ॐ समीर-तनुजाय नमः <br />
ॐ वीराय नमः <br />
ॐ वीर-ताराय नमः <br />
ॐ जय-प्रदाय नमः <br />
ॐ जगन्मन्गलदाय नमः <br />
ॐ पुण्याय नमः <br />
ॐ पुण्य-श्रवण-कीर्तनाय नमः <br />
ॐ पुण्यकीर्तये नमः <br />
ॐ पुण्य-गीतये नमः <br />
ॐ जगत्पावन-पावनाय नमः <br />
ॐ देवेशाय नमः <br />
ॐ जितमाराय नमः <br />
ॐ राम-भक्ति-विधायकाय नमः <br />
ॐ ध्यात्रे नमः।<br />
ॐ ध्येयाय नमः <br />
ॐ लयाय नमः <br />
ॐ साक्षिणे नमः ।<br />
ॐ चेत्रे नमः।<br />
ॐ चैतन्य-विग्रहाय नमः <br />
ॐ ज्ञानदाय नमः <br />
ॐ प्राणदाय नमः <br />
ॐ प्राणाय नमः <br />
ॐ जगत्प्राणाय नमः <br />
ॐ समीरणाय नमः <br />
ॐ विभीषण-प्रियाय नमः <br />
ॐ शूराय नमः <br />
ॐ पिप्पलाश्रयाय नमः <br />
ॐ सिद्धिदाय नमः <br />
ॐ सिद्धाय नमः <br />
ॐ सिद्धाश्रयाय नमः <br />
ॐ कालाय नमः <br />
ॐ महोक्षाय नमः ।<br />
ॐ काल-जान्तकाय नमः <br />
ॐ लंकेश-निधन-स्थायिने नमः <br />
ॐ लंका-दाहकाय नमः ।<br />
ॐ ईश्वराय नमः <br />
ॐ चन्द्र-सूर्य-अग्नि-नेत्राय नमः <br />
ॐ कालाग्ने नमः <br />
ॐ प्रलयान्तकाय नमः <br />
ॐ कपिलाय नमः <br />
ॐ कपीशाय नमः <br />
ॐ पुण्यराशये नमः <br />
ॐ द्वादश राशिगाय नमः <br />
ॐ सर्वाश्रयाय नमः <br />
ॐ अप्रमेयत्माय नमः ।<br />
ॐ रेवत्यादि-निवारकाय नमः <br />
ॐ लक्ष्मण-प्राणदात्रे नमः ।<br />
ॐ सीता-जीवन-हेतुकाय नमः <br />
ॐ राम-ध्येयाय नमः <br />
ॐ हृषीकेशाय नमः <br />
ॐ विष्णु-भक्ताय नमः <br />
ॐ जटिने नमः <br />
ॐ बलिने नमः <br />
ॐ देवारिदर्पघ्ने नमः <br />
ॐ होत्रे नमः <br />
ॐ कर्त्रे नमः <br />
ॐ धार्त्रे नमः <br />
ॐ जगत्प्रभवे नमः <br />
ॐ नगर-ग्राम-पालाय नमः <br />
ॐ शुद्धाय नमः <br />
ॐ बुद्धाय नमः <br />
ॐ निरन्तराय नमः <br />
ॐ निरंजनाय नमः <br />
ॐ निर्विकल्पाय नमः <br />
ॐ गुणातीताय नमः <br />
ॐ भयंकराय नमः <br />
ॐ हनुमते नमः ।<br />
ॐ दुराराध्याय नमः <br />
ॐ तपस्साध्याय नमः <br />
ॐ महेश्वराय नमः <br />
ॐ जानकी-घन-शोकोत्थतापहर्त्रे नमः ।<br />
ॐ परात्पराय नमः <br />
ॐ वाङ्मयाय नमः <br />
ॐ सद-सद्रूपाय नमः <br />
ॐ कारणाय नमः <br />
ॐ प्रकृतेः-पराय नमः <br />
ॐ भाग्यदाय नमः <br />
ॐ निर्मलाय नमः <br />
ॐ नेत्रे नमः <br />
ॐ पुच्छ-लंका-विदाहकाय नमः <br />
ॐ पुच्छ-बद्धाय नमः <br />
ॐ यातुधानाय नमः <br />
ॐ यातुधान-रिपुप्रियाय नमः <br />
ॐ छायापहारिणे नमः <br />
ॐ भूतेशाय नमः <br />
ॐ लोकेशाय नमः <br />
ॐ सद्गति-प्रदाय नमः <br />
ॐ प्लवंगमेश्वराय नमः <br />
ॐ क्रोधाय नमः <br />
ॐ क्रोध-संरक्तलोचनाय नमः <br />
ॐ क्रोध-हर्त्रे नमः <br />
ॐ ताप-हर्त्रे नमः <br />
ॐ भक्ताऽभय-वरप्रदाय नमः <br />
ॐ वर-प्रदाय नमः <br />
ॐ भक्तानुकंपिने नमः <br />
ॐ विश्वेशाय नमः <br />
ॐ पुरु-हूताय नमः <br />
ॐ पुरंदराय नमः <br />
ॐ अग्निने नमः <br />
ॐ विभावसवे नमः <br />
ॐ भास्वते नमः <br />
ॐ यमाय नमः <br />
ॐ निष्कृतिरेवचाय नमः <br />
ॐ वरुणाय नमः <br />
ॐ वायु-गति-मानाय नमः <br />
ॐ वायवे नमः <br />
ॐ कौबेराय नमः <br />
ॐ ईश्वराय नमः <br />
ॐ रवये नमः <br />
ॐ चन्द्राय नमः <br />
ॐ कुजाय नमः <br />
ॐ सौम्याय नमः <br />
ॐ गुरवे नमः <br />
ॐ काव्याय नमः <br />
ॐ शनैश्वराय नमः <br />
ॐ राहवे नमः <br />
ॐ केतवे नमः <br />
<br />
ॐ मरुते नमः <br />
ॐ धात्रे नमः <br />
ॐ धर्त्रे नमः <br />
ॐ हर्त्रे नमः <br />
ॐ समीरजाय नमः <br />
ॐ मशकीकृत-देवारये नमः <br />
ॐ दैत्यारये नमः <br />
ॐ मधुसूदनाय नमः <br />
ॐ कामाय नमः <br />
ॐ कपये नमः <br />
ॐ कामपालाय नमः <br />
ॐ कपिलाय नमः <br />
ॐ विश्व जीवनाय नमः <br />
ॐ भागीरथी-पदांभोजाय नमः <br />
ॐ सेतुबंध-विशारदाय नमः <br />
ॐ स्वाहा-काराय नमः <br />
ॐ स्वधा-काराय नमः <br />
ॐ हविषे नमः <br />
ॐ कव्याय नमः <br />
ॐ हव्यवाहकाय नमः <br />
ॐ प्रकाशाय नमः <br />
ॐ स्वप्रकाशाय नमः <br />
ॐ महावीराय नमः <br />
ॐ लघवे नमः <br />
ॐ अमित-विक्रमाय नमः <br />
ॐ प्रडीनोड्डीनगतिमानाय नमः <br />
ॐ सद्गतये नमः <br />
ॐ पुरुषोत्तमाय नमः <br />
ॐ जगदात्मने नमः <br />
ॐ जगद्योनये नमः <br />
ॐ जगदंताय नमः <br />
ॐ अनंतकाय नमः <br />
ॐ विपात्मने नमः <br />
ॐ निष्कलंकाय नमः <br />
ॐ महते नमः <br />
ॐ महदहंकृतये नमः <br />
ॐ खाय नमः <br />
ॐ वायवे नमः <br />
ॐ पृथिव्यै नमः <br />
ॐ आपोभ्य नमः <br />
ॐ वह्नये नमः <br />
ॐ दिक्पालाय नमः <br />
ॐ एकस्थाय नमः <br />
ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः <br />
ॐ क्षेत्र-पालाय नमः <br />
ॐ पल्वली-कृत-सागराय नमः <br />
ॐ हिरण्मयाय नमः <br />
ॐ पुराणाय नमः <br />
ॐ खेचराय नमः <br />
ॐ भुचराय नमः <br />
ॐ मनसे नमः <br />
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः <br />
ॐ सूत्राम्णे नमः <br />
ॐ राज-राजाय नमः <br />
ॐ विशांपतये नमः <br />
ॐ वेदांत-वेद्याय नमः <br />
ॐ उद्गीथाय नमः <br />
ॐ वेदवेदांग- पारगाय नमः <br />
ॐ प्रति-ग्राम-स्थिताय नमः <br />
ॐ साध्याय नमः <br />
ॐ स्फूर्ति दात्रे नमः <br />
ॐ गुणाकराय नमः <br />
ॐ नक्षत्र-मालिने नमः <br />
ॐ भूतात्मने नमः <br />
ॐ सुरभये नमः <br />
ॐ कल्प-पादपाय नमः <br />
ॐ चिन्ता-मणये नमः <br />
ॐ गुणनिधये नमः <br />
ॐ प्रजापतये नमः <br />
ॐ अनुत्तमाय नमः <br />
ॐ पुण्यश्लोकाय नमः <br />
ॐ पुरारातये नमः <br />
ॐ ज्योतिष्मते नमः <br />
ॐ शर्वरीपतये नमः <br />
ॐ किलिकिल्यारवत्रस्त-प्रेत-भूत-पिशाचकाय नमः <br />
ॐ ऋणत्रय-हराय नमः <br />
ॐ सूक्ष्माय नमः <br />
ॐ स्थूलाय नमः <br />
ॐ सर्वगतये नमः <br />
ॐ पुंसे नमः <br />
ॐ अपस्मार-हराय नमः <br />
ॐ स्मर्त्रे नमः <br />
ॐ श्रुतये नमः <br />
ॐ गाथायै नमः <br />
ॐ स्मृतये नमः <br />
ॐ मनवे नमः <br />
ॐ स्वर्ग-द्वाराय नमः <br />
ॐ प्रजा-द्वाराय नमः <br />
ॐ मोक्ष-द्वाराय नमः <br />
ॐ यतीश्वराय नमः <br />
ॐ नाद-रूपाय नमः <br />
ॐ पर-ब्रह्मणे नमः <br />
ॐ ब्रह्मणे नमः <br />
ॐ ब्रह्म-पुरातनाय नमः <br />
ॐ एकाय नमः <br />
ॐ अनेकाय नमः <br />
ॐ जनाय नमः <br />
ॐ शुक्लाय नमः <br />
ॐ स्वयज्योतिषे नमः <br />
ॐ अनाकुलाय नमः <br />
ॐ ज्योति-ज्योतिषे नमः <br />
ॐ अनादये नमः <br />
ॐ सात्त्विकाय नमः <br />
ॐ राजसत्तमाय नमः <br />
ॐ तमसे नमः <br />
ॐ तमो-हर्त्रे नमः <br />
ॐ निरालंबाय नमः <br />
ॐ निराकाराय नमः <br />
ॐ गुणाकराय नमः <br />
ॐ गुणाश्रयाय नमः <br />
ॐ गुणमयाय नमः <br />
ॐ बृहत्कायाय नमः <br />
ॐ बृहद्यशसे नमः <br />
ॐ बृहद्धनुषे नमः <br />
ॐ बृहत्पादाय नमः <br />
ॐ बृहन्नमूर्ध्ने नमः <br />
ॐ बृहत्स्वनाय नमः <br />
ॐ बृहत्कर्णाय नमः <br />
ॐ बृहन्नासाय नमः <br />
ॐ बृहन्नेत्राय नमः <br />
ॐ बृहत्गलाय नमः <br />
ॐ बृहध्यन्त्राय नमः <br />
ॐ बृहत्चेष्टाय नमः <br />
ॐ बृहत्पुच्छाय नमः <br />
ॐ बृहत्कराय नमः <br />
ॐ बृहत्गतये नमः <br />
ॐ बृहत्सेव्याय नमः <br />
ॐ बृहल्लोक-फलप्रदाय नमः <br />
ॐ बृहच्छक्तये नमः <br />
ॐ बृहद्वांछा-फलदाय नमः <br />
ॐ बृहदीश्वराय नमः <br />
ॐ बृहल्लोकनुताय नमः <br />
ॐ द्रंष्टे नमः <br />
ॐ विद्या-दात्रे नमः <br />
ॐ जगद्गुरवे नमः <br />
ॐ देवाचार्याय नमः <br />
ॐ सत्य-वादिने नमः <br />
ॐ ब्रह्म-वादिने नमः <br />
ॐ कलाधराय नमः <br />
ॐ सप्त-पातालगामिने नमः <br />
ॐ मलयाचल-संश्रयाय नमः <br />
ॐ उत्तराशास्थिताय नमः <br />
ॐ श्रीदाय नमः <br />
ॐ दिव्य-औषधि-वशाय नमः <br />
ॐ खगाय नमः <br />
ॐ शाखामृगाय नमः <br />
ॐ कपीन्द्राय नमः <br />
ॐ पुराणाय नमः <br />
ॐ श्रुति-संचराय नमः <br />
ॐ चतुराय नमः <br />
ॐ ब्राह्मणाय नमः <br />
ॐ योगिने नमः <br />
ॐ योगगम्याय नमः <br />
ॐ परात्पराय नमः <br />
ॐ अनादये नमः <br />
ॐ निधनाय नमः <br />
ॐ व्यासाय नमः <br />
ॐ वैकुण्ठाय नमः <br />
ॐ पृथ्वी-पतये नमः <br />
ॐ अपराजितये नमः <br />
ॐ जितारातये नमः <br />
ॐ सदानन्दाय नमः <br />
ॐ ईशित्रे नमः <br />
ॐ गोपालाय नमः <br />
ॐ गोपतये नमः <br />
ॐ गोप्त्रे नमः <br />
ॐ कलये नमः <br />
ॐ कालाय नमः <br />
ॐ परात्पराय नमः <br />
ॐ मनोवेगिने नमः <br />
ॐ सदा-योगिने नमः <br />
ॐ संसार-भय-नाशनाय नमः <br />
ॐ तत्त्व-दात्रे नमः <br />
ॐ तत्त्वज्ञाय नमः <br />
ॐ तत्त्वाय नमः <br />
ॐ तत्त्व-प्रकाशाय नमः <br />
ॐ शुद्धाय नमः <br />
ॐ बुद्धाय नमः <br />
ॐ नित्यमुक्ताय नमः <br />
ॐ भक्त-राजाय नमः <br />
ॐ जयप्रदाय नमः <br />
ॐ प्रलयाय नमः <br />
ॐ अमित-मायाय नमः <br />
ॐ मायातीताय नमः <br />
ॐ विमत्सराय नमः <br />
ॐ माया-निर्जित-रक्षसे नमः <br />
ॐ माया-निर्मित-विष्टपाय नमः <br />
ॐ मायाश्रयाय नमः <br />
ॐ निर्लेपाय नमः <br />
ॐ माया-निर्वंचकाय नमः <br />
ॐ सुखाय नमः <br />
ॐ सुखिने नमः <br />
ॐ सुखप्रदाय नमः <br />
ॐ नागाय नमः <br />
ॐ महेशकृत-संस्तवाय नमः <br />
ॐ महेश्वराय नमः <br />
ॐ सत्यसंधाय नमः <br />
ॐ शरभाय नमः <br />
ॐ कलि-पावनाय नमः <br />
ॐ रसाय नमः <br />
ॐ रसज्ञाय नमः <br />
ॐ सम्मानाय नमः <br />
ॐ तपस्चक्षवे नमः <br />
ॐ भैरवाय नमः <br />
ॐ घ्राणाय नमः <br />
ॐ गन्धाय नमः <br />
ॐ स्पर्शनाय नमः <br />
ॐ स्पर्शाय नमः <br />
ॐ अहंकारमानदाय नमः <br />
ॐ नेति-नेति-गम्याय नमः <br />
ॐ वैकुण्ठ-भजन-प्रियाय नमः <br />
ॐ गिरीशाय नमः <br />
ॐ गिरिजा-कान्ताय नमः <br />
ॐ दूर्वाससे नमः <br />
ॐ कवये नमः <br />
ॐ अंगिरसे नमः <br />
ॐ भृगुवे नमः <br />
ॐ वसिष्ठाय नमः <br />
ॐ च्यवनाय नमः <br />
ॐ तुम्बुरुवे नमः <br />
ॐ नारदाय नमः <br />
ॐ अमलाय नमः <br />
ॐ विश्व-क्षेत्राय नमः <br />
ॐ विश्व-बीजाय नमः <br />
ॐ विश्व-नेत्राय नमः <br />
ॐ विश्वगाय नमः <br />
ॐ याजकाय नमः <br />
ॐ यजमानाय नमः <br />
ॐ पावकाय नमः <br />
ॐ पित्रे नमः <br />
ॐ श्रद्धायै नमः <br />
ॐ बुद्धये नमः <br />
ॐ क्षमायै नमः <br />
ॐ तन्त्राय नमः <br />
ॐ मन्त्राय नमः <br />
ॐ मन्त्रयुताय नमः <br />
ॐ स्वराय नमः <br />
ॐ राजेन्द्राय नमः <br />
ॐ भूपतये नमः <br />
ॐ रुण्ड-मालिने नमः <br />
ॐ संसार-सारथये नमः <br />
ॐ नित्याय नमः <br />
ॐ संपूर्ण-कामाय नमः <br />
ॐ भक्त कामदुधे नमः <br />
ॐ उत्तमाय नमः <br />
ॐ गणपाय नमः <br />
ॐ केशवाय नमः <br />
ॐ भ्रात्रे नमः <br />
ॐ पित्रे नमः <br />
ॐ मात्रे नमः <br />
ॐ मारुतये नमः <br />
ॐ सहस्र-शीर्षा-पुरुषाय नमः <br />
ॐ सहस्राक्षाय नमः <br />
ॐ सहस्रपाताय नमः <br />
ॐ कामजिते नमः <br />
ॐ काम-दहनाय नमः <br />
ॐ कामाय नमः <br />
ॐ काम्य-फल-प्रदाय नमः <br />
ॐ मुद्रापहारिणे नमः <br />
ॐ रक्षोघ्नाय नमः <br />
ॐ क्षिति-भार-हराय नमः <br />
ॐ बलाय नमः <br />
ॐ नख-दंष्ट्रा-युधाय नमः <br />
ॐ विष्णु-भक्ताय नमः <br />
ॐ अभय-वर-प्रदाय नमः <br />
ॐ दर्पघ्ने नमः <br />
ॐ दर्पदाय नमः <br />
ॐ इष्टाय नमः <br />
ॐ शत-मूर्त्तये नमः <br />
ॐ अमूर्त्तिमते नमः <br />
ॐ महा-निधये नमः <br />
ॐ महा-भागाय नमः <br />
ॐ महा-भर्गाय नमः <br />
ॐ महार्थदाय नमः <br />
ॐ महाकाराय नमः <br />
ॐ महा-योगिने नमः <br />
ॐ महा-तेजसे नमः <br />
ॐ महा-द्युतये नमः <br />
ॐ महा-कर्मणे नमः <br />
ॐ महा-नादाय नमः <br />
ॐ महा-मन्त्राय नमः <br />
ॐ महा-मतये नमः <br />
ॐ महाशयाय नमः <br />
ॐ महोदराय नमः <br />
ॐ महादेवात्मकाय नमः <br />
ॐ विभवे नमः <br />
ॐ रुद्र-कर्मणे नमः <br />
ॐ अकृत-कर्मणे नमः <br />
ॐ रत्न-नाभाय नमः <br />
ॐ कृतागमाय नमः <br />
ॐ अम्भोधि-लंघनाय नमः <br />
ॐ सिंहाय नमः <br />
ॐ नित्याय नमः <br />
ॐ धर्माय नमः <br />
ॐ प्रमोदनाय नमः <br />
ॐ जितामित्राय नमः <br />
ॐ जयाय नमः <br />
ॐ सम-विजयाय नमः <br />
ॐ वायु-वाहनाय नमः <br />
ॐ जीव-दात्रे नमः <br />
ॐ सहस्रांशवे नमः <br />
ॐ मुकुन्दाय नमः <br />
ॐ भूरि-दक्षिणाय नमः <br />
ॐ सिद्धर्थाय नमः <br />
ॐ सिद्धिदाय नमः <br />
ॐ सिद्ध-संकल्पाय नमः <br />
ॐ सिद्धि-हेतुकाय नमः <br />
ॐ सप्त-पातालचरणाय नमः <br />
ॐ सप्तर्षि-गण-वन्दिताय नमः <br />
ॐ सप्ताब्धि-लंघनाय नमः <br />
ॐ वीराय नमः <br />
ॐ सप्त-द्वीपोरुमण्डलाय नमः <br />
ॐ सप्तांग-राज्य-सुखदाय नमः <br />
ॐ सप्त-मातृ-निशेविताय नमः <br />
ॐ सप्त-लोकैक-मुकुटाय नमः <br />
ॐ सप्त-होता-स्वराश्रयाय नमः <br />
ॐ सप्तच्छन्द-निधये नमः <br />
ॐ सप्तच्छन्दसे नमः <br />
ॐ सप्त-जनाश्रयाय नमः <br />
ॐ सप्त-सामोपगीताय नमः <br />
ॐ सप्त-पातल-संश्रयाय नमः <br />
ॐ मेधावी-कीर्तिदाय नमः <br />
ॐ शोक-हारिणे नमः <br />
ॐ दौर्भाग्य-नाशनाय नमः <br />
ॐ सर्व-वश्यकराय नमः <br />
ॐ गर्भ-दोषघ्नाय नमः <br />
ॐ पुत्र-पौत्र-दाय नमः <br />
ॐ प्रतिवादि-मुखस्तंभिने नमः <br />
ॐ तुष्टचित्ताय नमः <br />
ॐ प्रसादनाय नमः <br />
ॐ पराभिचारशमनाय नमः <br />
ॐ दवे नमः <br />
ॐ खघ्नाय नमः <br />
ॐ बंध-मोक्षदाय नमः <br />
ॐ नव-द्वार-पुराधाराय नमः <br />
ॐ नव-द्वार-निकेतनाय नमः <br />
ॐ नर-नारायण-स्तुत्याय नमः <br />
ॐ नरनाथाय नमः <br />
ॐ महेश्वराय नमः <br />
ॐ मेखलिने नमः <br />
ॐ कवचिने नमः <br />
ॐ खद्गिने नमः <br />
ॐ भ्राजिष्णवे नमः <br />
ॐ जिष्णुसारथये नमः <br />
ॐ बहु-योजन-विस्तीर्ण-पुच्छाय नमः <br />
ॐ पुच्छ-हतासुराय नमः <br />
ॐ दुष्टग्रह-निहंत्रे नमः <br />
ॐ पिशाच-ग्रह-घातकाय नमः <br />
ॐ बाल-ग्रह-विनाशिने नमः <br />
ॐ धर्माय नमः <br />
ॐ नेता-कृपाकराय नमः <br />
ॐ उग्रकृत्याय नमः <br />
ॐ उग्रवेगिने नमः <br />
ॐ उग्र-नेत्राय नमः <br />
ॐ शत-क्रतवे नमः <br />
ॐ शत-मन्युस्तुताय नमः <br />
ॐ स्तुत्याय नमः <br />
ॐ स्तुतये नमः <br />
ॐ स्तोत्रे नमः <br />
ॐ महा-बलाय नमः <br />
ॐ समग्र-गुणशालिने नमः <br />
ॐ अव्यग्राय नमः <br />
ॐ रक्षाय नमः <br />
ॐ विनाशकाय नमः <br />
ॐ रक्षोघ्न-हस्ताय नमः <br />
ॐ ब्रह्मेशाय नमः <br />
ॐ श्रीधराय नमः <br />
ॐ भक्त-वत्सलाय नमः <br />
ॐ मेघ-नादाय नमः <br />
ॐ मेघ-रूपाय नमः <br />
ॐ मेघ-वृष्टि-निवारकाय नमः <br />
ॐ मेघ-जीवन-हेतवे नमः <br />
ॐ मेघ-श्यामाय नमः <br />
ॐ परात्मकाय नमः <br />
ॐ समीर-तनयाय नमः <br />
ॐ बोध्-तत्त्व-विद्या-विशारदाय नमः <br />
ॐ अमोघाय नमः <br />
ॐ अमोघहृष्टये नमः <br />
ॐ इष्टदाय नमः <br />
ॐ अनिष्ट-नाशनाय नमः <br />
ॐ अर्थाय नमः <br />
ॐ अनर्थापहारिणे नमः <br />
ॐ समर्थाय नमः <br />
ॐ राम-सेवकाय नमः <br />
ॐ अर्थिने नमः <br />
ॐ धन्याय नमः <br />
ॐ असुरारातये नमः <br />
ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः <br />
ॐ आत्मभूवे नमः <br />
ॐ संकर्षणाय नमः <br />
ॐ विशुद्धात्मने नमः <br />
ॐ विद्या-राशये नमः <br />
ॐ सुरेश्वराय नमः <br />
ॐ अचलोद्धारकाय नमः <br />
ॐ नित्याय नमः <br />
ॐ सेतुकृते नमः <br />
ॐ राम-सारथये नमः <br />
ॐ आनन्दाय नमः <br />
ॐ परमानन्दाय नमः <br />
ॐ मत्स्याय नमः <br />
ॐ कूर्माय नमः <br />
ॐ निधये नमः <br />
ॐ शूराय नमः <br />
ॐ वाराहाय नमः <br />
ॐ नारसिंहाय नमः <br />
ॐ वामनाय नमः <br />
ॐ जमदग्निजाय नमः <br />
ॐ रामाय नमः <br />
ॐ कृष्णाय नमः <br />
ॐ शिवाय नमः <br />
ॐ बुद्धाय नमः <br />
ॐ कल्किने नमः <br />
ॐ रामाश्रयाय नमः <br />
ॐ हराय नमः <br />
ॐ नन्दिने नमः <br />
ॐ भृन्गिने नमः <br />
ॐ चण्डिने नमः <br />
ॐ गणेशाय नमः <br />
ॐ गण-सेविताय नमः <br />
ॐ कर्माध्यक्ष्याय नमः <br />
ॐ सुराध्यक्षाय नमः <br />
ॐ विश्रामाय नमः <br />
ॐ जगतांपतये नमः <br />
ॐ जगन्नथाय नमः <br />
ॐ कपि-श्रेष्टाय नमः <br />
ॐ सर्ववासाय नमः <br />
ॐ सदाश्रयाय नमः <br />
ॐ सुग्रीवादिस्तुताय नमः <br />
ॐ शान्ताय नमः <br />
ॐ सर्व-कर्मणे नमः <br />
ॐ प्लवंगमाय नमः <br />
ॐ नखदारितरक्षसे नमः <br />
ॐ नख-युद्ध-विशारदाय नमः <br />
ॐ कुशलाय नमः <br />
ॐ सुघनाय नमः <br />
ॐ शेषाय नमः <br />
ॐ वासुकये नमः <br />
ॐ तक्षकाय नमः <br />
ॐ स्वराय नमः <br />
ॐ स्वर्ण-वर्णाय नमः <br />
ॐ बलाढ्याय नमः <br />
ॐ राम-पूज्याय नमः <br />
ॐ अघनाशनाय नमः <br />
ॐ कैवल्य-दीपाय नमः <br />
ॐ कैवल्याय नमः <br />
ॐ गरुडाय नमः <br />
ॐ पन्नगाय नमः <br />
ॐ गुरवे नमः <br />
ॐ क्लिक्लिरावणहतारातये नमः <br />
ॐ गर्वाय नमः <br />
ॐ पर्वत-भेदनाय नमः <br />
ॐ वज्रांगाय नमः <br />
ॐ वज्र-वेगाय नमः <br />
ॐ भक्ताय नमः <br />
ॐ वज्र-निवारकाय नमः <br />
ॐ नखायुधाय नमः <br />
ॐ मणिग्रीवाय नमः <br />
ॐ ज्वालामालिने नमः <br />
ॐ भास्कराय नमः <br />
ॐ प्रौढ-प्रतापाय नमः <br />
ॐ तपनाय नमः <br />
ॐ भक्त-ताप-निवारकाय नमः <br />
ॐ शरणाय नमः <br />
ॐ जीवनाय नमः <br />
ॐ भोक्त्रे नमः <br />
ॐ नानाचेष्टा नमः <br />
ॐ चंचलाय नमः <br />
ॐ सुस्वस्थाय नमः <br />
ॐ अस्वास्थ्यघ्ने नमः <br />
ॐ दवे नमः <br />
ॐ खशमनाय नमः <br />
ॐ पवनात्मजाय नमः <br />
ॐ पावनाय नमः <br />
ॐ पवनाय नमः <br />
ॐ कान्ताय नमः <br />
ॐ भक्तागाय नमः <br />
ॐ सहनाय नमः <br />
ॐ बलाय नमः <br />
ॐ मेघनाद-रिपवे नमः <br />
ॐ मेघनाद-संहृतराक्षसाय नमः <br />
ॐ क्षराय नमः <br />
ॐ अक्षराय नमः <br />
ॐ विनीतात्मा वानरेशाय नमः <br />
ॐ सतांगतये नमः <br />
ॐ शिति-कण्ठाय नमः <br />
ॐ श्री-कण्ठाय नमः <br />
ॐ सहायाय नमः <br />
ॐ सहनायकाय नमः <br />
ॐ अस्थलाय नमः <br />
ॐ अनणवे नमः <br />
ॐ भर्गाय नमः <br />
ॐ देवाय नमः <br />
ॐ संसृतिनाशनाय नमः <br />
ॐ अध्यात्म-विद्याय नमः <br />
ॐ साराय नमः <br />
ॐ अध्यात्म-कुशलाय नमः <br />
ॐ सुधिये नमः <br />
ॐ अकल्मषाय नमः <br />
ॐ सत्य-हेतवे नमः <br />
ॐ सत्यगाय नमः <br />
ॐ सत्य-गोचराय नमः <br />
ॐ सत्य-गर्भाय नमः <br />
ॐ सत्य-रूपाय नमः <br />
ॐ सत्याय नमः <br />
ॐ सत्य-पराक्रमाय नमः <br />
ॐ अन्जना-प्राणलिंगाय नमः <br />
ॐ वायु-वंशोद्भवाय नमः <br />
ॐ शुभाय नमः <br />
ॐ भद्र-रूपाय नमः <br />
ॐ रुद्र-रूपाय नमः <br />
ॐ सुरूपस्चित्र-रूपधृताय नमः <br />
ॐ मैनाक-वंदिताय नमः <br />
ॐ सूक्ष्म-दर्शनाय नमः <br />
ॐ विजयाय नमः <br />
ॐ जयाय नमः <br />
ॐ क्रान्त-दिग्मण्डलाय नमः <br />
ॐ रुद्राय नमः <br />
ॐ प्रकटीकृत-विक्रमाय नमः <br />
ॐ कम्बु-कण्ठाय नमः <br />
ॐ प्रसन्नात्मने नमः <br />
ॐ ह्रस्व-नासाय नमः <br />
ॐ वृकोदराय नमः <br />
ॐ लंबोष्टाय नमः <br />
ॐ कुण्डलिने नमः <br />
ॐ चित्र-मालिने नमः <br />
ॐ योग-विदावराय नमः <br />
ॐ वराय नमः <br />
ॐ विपश्चिताय नमः <br />
ॐ कविरानन्द-विग्रहाय नमः <br />
ॐ अनन्य-शासनाय नमः <br />
ॐ फल्गुणीसूनुरव्यग्राय नमः <br />
ॐ योगात्मने नमः <br />
ॐ योगतत्पराय नमः <br />
ॐ योग-वेद्याय नमः <br />
ॐ योग-कर्त्रे नमः <br />
ॐ योग-योनये नमः <br />
ॐ दिगंबराय नमः <br />
ॐ अकारादि-क्षकारान्ताय नमः <br />
ॐ वर्ण-निर्मिताय नमः <br />
ॐ विग्रहाय नमः <br />
ॐ उलूखल-मुखाय नमः <br />
ॐ सिंहाय नमः <br />
ॐ संस्तुताय नमः <br />
ॐ परमेश्वराय नमः <br />
ॐ श्लिष्ट-जंघाय नमः <br />
ॐ श्लिष्ट-जानवे नमः <br />
ॐ श्लिष्ट-पाणये नमः <br />
ॐ शिखा-धराय नमः <br />
ॐ सुशर्मणे नमः <br />
ॐ अमित-शर्मणे नमः <br />
ॐ नारायण-परायणाय नमः <br />
ॐ जिष्णवे नमः <br />
ॐ भविष्णवे नमः <br />
ॐ रोचिष्णवे नमः <br />
ॐ ग्रसिष्णवे नमः <br />
ॐ स्थाणुरेवाय नमः <br />
ॐ हरये नमः <br />
ॐ रुद्रानुकृते नमः <br />
ॐ वृक्ष-कंपनाय नमः <br />
ॐ भूमि-कंपनाय नमः <br />
ॐ गुण-प्रवाहाय नमः <br />
ॐ सूत्रात्मने नमः <br />
ॐ वीत-रागाय नमः <br />
ॐ स्तुति-प्रियाय नमः <br />
ॐ नाग-कन्या-भय-ध्वंसिने नमः <br />
ॐ ऋतु-पर्णाय नमः <br />
ॐ कपाल-भृताय नमः <br />
ॐ अनाकुलाय नमः <br />
ॐ भवोपायाय नमः <br />
ॐ अनपायाय नमः <br />
ॐ वेद-पारगाय नमः <br />
ॐ अक्षराय नमः <br />
ॐ पुरुषाय नमः <br />
ॐ लोक-नाथाय नमः <br />
ॐ रक्ष-प्रभवे नमः <br />
ॐ दृडाय नमः <br />
ॐ अष्टांग-योगाय नमः <br />
ॐ फलभुवे नमः <br />
ॐ सत्य-संधाय नमः <br />
ॐ पुरुष्टुताय नमः <br />
ॐ श्मशान-स्थान-निलयाय नमः <br />
ॐ प्रेत-विद्रावणाय नमः <br />
ॐ क्षमाय नमः <br />
ॐ पंचाक्षर-पराय नमः <br />
ॐ पञ्च-मातृकाय नमः <br />
ॐ रंजनाय नमः <br />
ॐ ध्वजाय नमः <br />
ॐ योगिने नमः <br />
ॐ वृन्द-वंद्याय नमः <br />
ॐ शत्रुघ्नाय नमः <br />
ॐ अनन्त-विक्रमाय नमः <br />
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः <br />
ॐ इन्द्रिय-रिपवे नमः <br />
ॐ धृतदण्डाय नमः <br />
ॐ दशात्मकाय नमः <br />
ॐ अप्रपंचाय नमः <br />
ॐ सदाचाराय नमः <br />
ॐ शूर-सेना-विदारकाय नमः <br />
ॐ वृद्धाय नमः <br />
ॐ प्रमोदाय नमः <br />
ॐ आनंदाय नमः <br />
ॐ सप्त-जिह्व-पतिर्धराय नमः <br />
ॐ नव-द्वार-पुराधाराय नमः <br />
ॐ प्रत्यग्राय नमः <br />
ॐ सामगायकाय नमः <br />
ॐ षट्चक्रधाम्ने नमः <br />
ॐ स्वर्लोकाय नमः <br />
ॐ भयहृते नमः <br />
ॐ मानदाय नमः <br />
ॐ अमदाय नमः <br />
ॐ सर्व-वश्यकराय नमः <br />
ॐ शक्तिरनन्ताय नमः <br />
ॐ अनन्त-मंगलाय नमः <br />
ॐ अष्ट-मूर्तिर्धराय नमः <br />
ॐ नेत्रे नमः <br />
ॐ विरूपाय नमः <br />
ॐ स्वर-सुन्दराय नमः <br />
ॐ धूम-केतवे नमः <br />
ॐ महा-केतवे नमः <br />
ॐ सत्य-केतवे नमः <br />
ॐ महारथाय नमः <br />
ॐ नन्दि-प्रियाय नमः <br />
ॐ स्वतन्त्राय नमः <br />
ॐ मेखलिने नमः <br />
ॐ समर-प्रियाय नमः <br />
ॐ लोहांगाय नमः <br />
ॐ सर्वविदे नमः <br />
ॐ धन्विने नमः <br />
ॐ षट्कलाय नमः <br />
ॐ शर्वाय नमः <br />
ॐ ईश्वराय नमः <br />
ॐ फल-भुजे नमः <br />
ॐ फल-हस्ताय नमः <br />
ॐ सर्व-कर्म-फलप्रदाय नमः <br />
ॐ धर्माध्यक्षाय नमः <br />
ॐ धर्म-फलाय नमः <br />
ॐ धर्माय नमः <br />
ॐ धर्म-प्रदाय नमः <br />
ॐ अर्थदाय नमः <br />
ॐ पं-विंशति-तत्त्वज्ञाय नमः <br />
ॐ तारक-ब्रह्म-तत्पराय नमः <br />
ॐ त्रि-मार्गवसतये नमः <br />
ॐ भीमाये नमः <br />
ॐ सर्व-दुष्ट-निबर्हणाय नमः <br />
ॐ ऊर्जस्वानाय नमः <br />
ॐ निष्कलाय नमः <br />
ॐ मौलिने नमः <br />
ॐ गर्जाय नमः <br />
ॐ निशाचराय नमः <br />
ॐ रक्तांबर-धराय नमः <br />
ॐ रक्ताय नमः <br />
ॐ रक्त-माला-विभूषणाय नमः <br />
ॐ वन-मालिने नमः <br />
ॐ शुभांगांय नमः <br />
ॐ श्वेताय नमः <br />
ॐ श्वेतांबराय नमः <br />
ॐ जयाय नमः <br />
ॐ जय-परीवाराय नमः <br />
ॐ सहस्र-वदनाय नमः <br />
ॐ कपये नमः <br />
ॐ शाकिनी-डाकिनी-यक्ष-रक्षाय नमः <br />
ॐ भूतौघ-भंजनाय नमः <br />
ॐ सद्योजाताय नमः <br />
ॐ कामगतये नमः <br />
ॐ ज्ञान-मूर्तये नमः <br />
ॐ यशस्कराय नमः <br />
ॐ शंभु-तेजसे नमः <br />
ॐ सार्वभौमाय नमः <br />
ॐ विष्णु-भक्ताय नमः <br />
ॐ चतुर्नवति-मन्त्रज्ञाय नमः <br />
ॐ पौलस्त्य-बल-दर्पहाय नमः <br />
ॐ सर्व-लक्ष्मी-प्रदाय नमः <br />
ॐ श्रीमानाय नमः <br />
ॐ अन्गदप्रियाय नमः <br />
ॐ स्मृतये नमः <br />
ॐ सुरेशानाय नमः <br />
ॐ संसार-भय-नाशनाय नमः <br />
ॐ उत्तमाय नमः <br />
ॐ श्रीपरिवाराय नमः <br />
ॐ सदागतिर्मातरये नमः <br />
ॐ राम-पादाब्ज-षट्पदाय नमः <br />
ॐ नील-प्रियाय नमः <br />
ॐ नील-वर्णाय नमः <br />
ॐ नील-वर्ण-प्रियाय नमः <br />
ॐ सुहृताय नमः <br />
ॐ राम दूताय नमः <br />
ॐ लोक-बन्धवे नमः <br />
ॐ अन्तरात्मा-मनोरमाय नमः <br />
ॐ श्री राम ध्यानकृद् वीराय नमः <br />
ॐ सदा किंपुरुषस्स्तुताय नमः <br />
ॐ राम कार्यांतरंगाय नमः <br />
ॐ शुद्धिर्गतिरानमयाय नमः <br />
ॐ पुण्य श्लोकाय नमः <br />
ॐ परानन्दाय नमः <br />
ॐ परेशाय नमः <br />
ॐ प्रिय सारथये नमः <br />
ॐ लोक-स्वामिने नमः <br />
ॐ मुक्ति-दात्रे नमः <br />
ॐ सर्व-कारण-कारणाय नमः <br />
ॐ महा-बलाय नमः <br />
ॐ महा-वीराय नमः <br />
ॐ पारावारगतये नमः <br />
ॐ समस्त-लोक-साक्षिणे नमः <br />
ॐ समस्त-सुर-वंदिताय नमः <br />
ॐ सीता-समेत-श्रीराम-पाद-सेवा-धुरंधराय नमः <br />
<br />
अनेन सहस्त्रनाम्नाऽमुकद्रव्यसमर्पणेन श्री हनुमद्देवता प्रीयताम् न मम।।</div>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-17977298385769147512011-06-24T05:30:00.000-07:002011-06-24T05:30:00.057-07:00स्वास्थ्य के लिये टोटकेस्वास्थ्य के लिये टोटके<br />
<br />
1॰ सदा स्वस्थ बने रहने के लिये रात्रि को पानी किसी लोटे या गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिये रख दें। उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृत सम्बन्धी परेशानियां नहीं होती तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है।<br />
<br />
2॰ हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें।<br />
<br />
3॰ जिन लोगों को 1-2 बार दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपरोक्त प्रयोग संख्या 2 करें तथा निम्न प्रयोग भी करें :-<br />
एक पाचंमुखी रूद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार कर इसे किसी नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर दें।<br />
<br />
4॰ किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे।<br />
<br />
5॰ घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।<br />
<br />
6॰ रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।<br />
<br />
7॰ पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है। <br />
<br />
8॰ रोग मुक्ति के लिए प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।<br />
<br />
9॰ घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं।<br />
<br />
10॰ पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें।<br />
<br />
11॰ पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है।<br />
<br />
12॰ मंदिर में गुप्त दान करें।<br />
<br />
13॰ रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे।<br />
<br />
14॰ सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं पैर से सिर की ओर जाती हैं, जो अधिक से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर लायेंगी, जिससे व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।<br />
<br />
15॰ अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।<br />
<br />
16॰ अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दिन एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति निश्चय ही दूर होती है।<br />
<br />
17॰ किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया में सुखा लें। जिस कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से ´´ ॐ माधवाय नम:। ॐ अनंताय नम:। ॐ अच्युताय नम:।´´ मन्त्र की एक माला का जाप करें। कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा। दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य करें। इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा।<br />
<br />
18॰ अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है। शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।<br />
<br />
19॰ पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।<br />
<br />
20॰ किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं। अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।<br />
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21॰ किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, चुगावें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।<br />
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22॰ शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का टुकड़ा रखें। इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। फेंकने से पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें। ऐसा 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।<br />
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23॰ सवा सेर (1॰25 सेर) गुलगुले बाजार से खरीदें। उनको रोगी पर से 7 बार वार कर चीलों को खिलाएं। अगर चीलें सारे गुलगुले, या आधे से ज्यादा खा लें तो रोगी ठीक हो जायेगा। यह कार्य शनि या मंगलवार को ही शाम को 4 और 6 के मध्य में करें। गुलगुले ले जाने वाले व्यक्ति को कोई टोके नहीं और न ही वह पीछे मुड़ कर देखे।<br />
<br />
24॰ यदि लगे कि शरीर में कष्ट समाप्त नहीं हो रहा है, तो थोड़ा सा गंगाजल नहाने वाली बाल्टी में डाल कर नहाएं।<br />
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25॰ प्रतिदिन या शनिवार को खेजड़ी की पूजा कर उसे सींचने से रोगी को दवा लगनी शुरू हो जाती है और उसे धीरे-धीरे आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा। यदि प्रतिदिन सींचें तो 1 माह तक और केवल शनिवार को सींचें तो 7 शनिवार तक यह कार्य करें। खेजड़ी के नीचे गूगल का धूप और तेल का दीपक जलाएं।<br />
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26॰ हर मंगल और शनिवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कुत्तों को खिलाने से धीरे-धीरे आराम मिलता है। यह कार्य कम से कम 7 सप्ताह करना चाहिये। बीच में रूकावट न हो, अन्यथा वापस शुरू करना होगा।<br />
<br />
27॰ साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग और ज्वार चारों बराबर-बराबर ले कर साफ कर के मिला दें। कुल वजन 1 किलो हो। इसको रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर उनको एक साथ पकाएं। जब चारों अनाज पूरी तरह पक जाएं, तब उसमें तेल-गुड़ मिला कर, किसी मिट्टी के दीये में डाल कर दोपहर को, किसी चौराहे पर रख दें। उसके साथ मिट्टी का दीया तेल से भर कर जलाएं, अगरबत्ती जलाएं। फिर पानी से उसके चारों ओर घेरा बना दें। पीछे मुड़ कर न देखें। घर आकर पांव धो लें। रोगी ठीक होना शुरू हो जायेगा।<br />
<br />
28॰ गाय के गोबर का कण्डा और जली हुई लकड़ी की राख को पानी में गूंद कर एक गोला बनाएं। इसमें एक कील तथा एक सिक्का भी खोंस दें। इसके ऊपर रोली और काजल से 7 निशान लगाएं। इस गोले को एक उपले पर रख कर रोगी के ऊपर से 3 बार उतार कर सुर्यास्त के समय मौन रह कर चौराहे पर रखें। पीछे मुड़ कर न देखें।<br />
<br />
29॰ शनिवार के दिन दोपहर को 2॰25 (सवा दो) किलो बाजरे का दलिया पकाएं और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिला कर एक मिट्टी की हांडी में रखें। सूर्यास्त के समय उस हांडी को रोगी के शरीर पर बायें से दांये 7 बार फिराएं और चौराहे पर मौन रह कर रख आएं। आते-जाते समय पीछे मुड़ कर न देखें और न ही किसी से बातें करें।<br />
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30॰ धान कूटने वाला मूसल और झाडू रोगी के ऊपर से उतार कर उसके सिरहाने रखें।<br />
<br />
31॰ सरसों के तेल को गरम कर इसमें एक चमड़े का टुकड़ा डालें, पुन: गर्म कर इसमें नींबू, फिटकरी, कील और काली कांच की चूड़ी डाल कर मिट्टी के बर्तन में रख कर, रोगी के सिर पर फिराएं। इस बर्तन को जंगल में एकांत में गाड़ दें।<br />
<br />
32॰ घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन से रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।<br />
<br />
33॰ यदि पर्याप्त उपचार करने पर भी रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो अथवा बार-बार एक ही रोग प्रकट होकर पीड़ित कर रहा हो तथा उपचार करने पर भी शांत हो जाता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने वजन के बराबर गेहू¡ का दान रविवार के दिन करना चाहिए। गेहूँ का दान जरूरतमंद एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों को ही करना चाहिए।spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-71696626758667505132011-06-24T05:29:00.000-07:002011-06-24T05:29:11.034-07:00सुख-समृद्धि1॰ यदि परिश्रम के पश्चात् भी कारोबार ठप्प हो, या धन आकर खर्च हो जाता हो तो यह टोटका काम में लें। किसी गुरू पुष्य योग और शुभ चन्द्रमा के दिन प्रात: हरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करें। श्री गणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे “संकटनाशन गणेश स्तोत्र´´ के 11 पाठ करें। तत्पश्चात् इस थैली में 7 मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रूद्राक्ष, एक चांदी का रूपया या 2 सुपारी, 2 हल्दी की गांठ रख कर दाहिने मुख के गणेश जी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं। फिर यह थैली तिजोरी या कैश बॉक्स में रख दें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान करते रहे। आर्थिक स्थिति में शीघ्र सुधार आएगा। 1 साल बाद नयी थैली बना कर बदलते रहें।<br />
<br />
2॰ किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर “बटुक भैरव स्तोत्र´´ का एक पाठ कर के गौ, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी।<br />
<br />
3॰ रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें `जय गणेश काटो कलेश´।<br />
<br />
4॰ सरकारी या निजी रोजगार क्षेत्र में परिश्रम के उपरांत भी सफलता नहीं मिल रही हो, तो नियमपूर्वक किये गये विष्णु यज्ञ की विभूति ले कर, अपने पितरों की `कुशा´ की मूर्ति बना कर, गंगाजल से स्नान करायें तथा यज्ञ विभूति लगा कर, कुछ भोग लगा दें और उनसे कार्य की सफलता हेतु कृपा करने की प्रार्थना करें। किसी धार्मिक ग्रंथ का एक अध्याय पढ़ कर, उस कुशा की मूर्ति को पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। सफलता अवश्य मिलेगी। सफलता के पश्चात् किसी शुभ कार्य में दानादि दें।<br />
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5॰ व्यापार, विवाह या किसी भी कार्य के करने में बार-बार असफलता मिल रही हो तो यह टोटका करें- सरसों के तैल में सिके गेहूँ के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें -“हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना।´´ सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।<br />
<br />
6॰ सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिर माता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आ जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है। <br />
<br />
7॰ किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है।<br />
<br />
८॰ रविवार पुष्य नक्षत्र में एक कौआ अथवा काला कुत्ता पकड़े। उसके दाएँ पैर का नाखून काटें। इस नाखून को ताबीज में भरकर, धूपदीपादि से पूजन कर धारण करें। इससे आर्थिक बाधा दूर होती है। कौए या काले कुत्ते दोनों में से किसी एक का नाखून लें। दोनों का एक साथ प्रयोग न करें।<br />
<br />
9॰ प्रत्येक प्रकार के संकट निवारण के लिये भगवान गणेश की मूर्ति पर कम से कम 21 दिन तक थोड़ी-थोड़ी जावित्री चढ़ावे और रात को सोते समय थोड़ी जावित्री खाकर सोवे। यह प्रयोग 21, 42, 64 या 84 दिनों तक करें।<br />
<br />
10॰ अक्सर सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, किन्तु पैसा नहीं टिकता, तो यह प्रयोग करें। जब आटा पिसवाने जाते हैं तो उससे पहले थोड़े से गेंहू में 11 पत्ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर मिला लें तथा अब इसको बाकी गेंहू में मिला कर पिसवा लें। यह क्रिया सोमवार और शनिवार को करें। फिर घर में धन की कमी नहीं रहेगी।<br />
<br />
<br />
11॰ आटा पिसते समय उसमें 100 ग्राम काले चने भी पिसने के लियें डाल दिया करें तथा केवल शनिवार को ही आटा पिसवाने का नियम बना लें।<br />
<br />
12॰ शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।<br />
<br />
13॰ अगर पर्याप्त धर्नाजन के पश्चात् भी धन संचय नहीं हो रहा हो, तो काले कुत्ते को प्रत्येक शनिवार को कड़वे तेल (सरसों के तेल) से चुपड़ी रोटी खिलाएँ। <br />
<br />
14॰ संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिए, किन्तु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का क्षय होता है।<br />
<br />
15॰ रात्रि में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात्रि भोज में नहीं करना चाहिये।<br />
<br />
16॰ भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।<br />
<br />
17॰ सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ, ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।<br />
<br />
18॰ घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर में रखना अलाभकारी होता है।<br />
<br />
19॰ अपने घर में पवित्र नदियों का जल संग्रह कर के रखना चाहिए। इसे घर के ईशान कोण में रखने से अधिक लाभ होता है।<br />
<br />
20॰ रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भर कर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहीं आयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूर होंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।<br />
<br />
21॰ `देव सखा´ आदि 18 पुत्रवर्ग भगवती लक्ष्मी के कहे गये हैं। इनके नाम के आदि में और अन्त में `नम:´ लगाकर जप करने से अभीष्ट धन की प्राप्ति होती है। यथा - ॐ देवसखाय नम:, चिक्लीताय, आनन्दाय, कर्दमाय, श्रीप्रदाय, जातवेदाय, अनुरागाय, सम्वादाय, विजयाय, वल्लभाय, मदाय, हर्षाय, बलाय, तेजसे, दमकाय, सलिलाय, गुग्गुलाय, ॐ कुरूण्टकाय नम:।<br />
<br />
22॰ किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें। मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्त होती है।<br />
<br />
23॰ किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य ही कार्य में सफलता मिलती है।<br />
<br />
24॰ अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें। उसपर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें : `ॐ श्री हनुमते नम:´। 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं। काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।<br />
<br />
25॰ चुटकी भर हींग अपने ऊपर से वार कर उत्तर दिशा में फेंक दें। प्रात:काल तीन हरी इलायची को दाएँ हाथ में रखकर “श्रीं श्रीं´´ बोलें, उसे खा लें, फिर बाहर जाए¡।<br />
<br />
26॰ जिन व्यक्तियों को लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान न बन पा रहा हो, वे इस टोटके को अपनाएं। <br />
प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं। ऐसा नियमित करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी या पैतृक सम्पति प्राप्त होगी। अगर सम्भव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें। “ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति।।´´<br />
<br />
27॰ यह प्रयोग नवरात्रि के दिनों में अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दिन प्रात:काल उठ कर पूजा स्थल में गंगाजल, कुआं जल, बोरिंग जल में से जो उपलब्ध हो, उसके छींटे लगाएं, फिर एक पाटे के ऊपर दुर्गा जी के चित्र के सामने, पूर्व में मुंह करते हुए उस पर 5 ग्राम सिक्के रखें। साबुत सिक्कों पर रोली, लाल चन्दन एवं एक गुलाब का पुष्प चढ़ाएं। माता से प्रार्थना करें। इन सबको पोटली बांध कर अपने गल्ले, संदूक या अलमारी में रख दें। यह टोटका हर 6 माह बाद पुन: दोहराएं।<br />
<br />
28॰ घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।<br />
<br />
29॰ व्यक्ति को ऋण मुक्त कराने में यह टोटका अवश्य सहायता करेगा : मंगलवार को शिव मन्दिर में जा कर शिवलिंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण मुक्तेश्वर महादेवाय नम:´´ मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं।<br />
<br />
30॰ जिन व्यक्तियों को निरन्तर कर्ज घेरे रहते हैं, उन्हें प्रतिदिन “ऋणमोचक मंगल स्तोत्र´´ का पाठ करना चाहिये। यह पाठ शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिये। यदि प्रतिदिन किसी कारण न कर सकें, तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करना चाहिये।<br />
<br />
31॰ सोमवार के दिन एक रूमाल, 5 गुलाब के फूल, 1 चांदी का पत्ता, थोड़े से चावल तथा थोड़ा सा गुड़ लें। फिर किसी विष्णुण्लक्ष्मी जी के मिन्दर में जा कर मूर्त्ति के सामने रूमाल रख कर शेष वस्तुओं को हाथ में लेकर 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करते हुए बारी-बारी इन वस्तुओं को उसमें डालते रहें। फिर इनको इकट्ठा कर के कहें की `मेरी परेशानियां दूर हो जाएं तथा मेरा कर्जा उतर जाए´। यह क्रिया आगामी 7 सोमवार और करें। कर्जा जल्दी उतर जाएगा तथा परेशानियां भी दूर हो जाएंगी।<br />
<br />
32॰ सर्वप्रथम 5 लाल गुलाब के पूर्ण खिले हुए फूल लें। इसके पश्चात् डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा ले कर अपने सामने बिछा लें। इन पांचों गुलाब के फुलों को उसमें, गायत्री मंत्र 21 बार पढ़ते हुए बांध दें। अब स्वयं जा कर इन्हें जल में प्रवाहित कर दें। भगवान ने चाहा तो जल्दी ही कर्ज से मुक्ति प्राप्त होगी।<br />
<br />
34॰ कर्ज-मुक्ति के लिये “गजेन्द्र-मोक्ष´´ स्तोत्र का प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व पाठ अमोघ उपाय है।<br />
<br />
35॰ घर में स्थायी सुख-समृद्धि हेतु पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रह कर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिला कर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालने से घर में लम्बे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी का वास होता है।<br />
<br />
33॰ अगर निरन्तर कर्ज में फँसते जा रहे हों, तो श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह 6 शनिवार किया जाए, तो आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं।<br />
<br />
36॰ घर में बार-बार धन हानि हो रही हो तों वीरवार को घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखी (दो मुख वाला) दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए की `भविष्य में घर में धन हानि का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए पानी में बहा देना चाहिए।<br />
<br />
37॰ काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसार कर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी।<br />
<br />
38॰ घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए घर में सोने का चौरस सिक्का रखें। कुत्ते को दूध दें। अपने कमरे में मोर का पंख रखें।<br />
<br />
39॰ अगर आप सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो आपको पके हुए मिट्टी के घड़े को लाल रंग से रंगकर, उसके मुख पर मोली बांधकर तथा उसमें जटायुक्त नारियल रखकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।<br />
<br />
40॰ अखंडित भोज पत्र पर 15 का यंत्र लाल चन्दन की स्याही से मोर के पंख की कलम से बनाएं और उसे सदा अपने पास रखें।<br />
<br />
41॰ व्यक्ति जब उन्नति की ओर अग्रसर होता है, तो उसकी उन्नति से ईर्ष्याग्रस्त होकर कुछ उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वे ही उसकी उन्नति के मार्ग को अवरूद्ध करने लग जाते हैं, ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। ऐसी ही परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रात:काल सात बार हनुमान बाण का पाठ करें तथा हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाए¡ और पाँच लौंग पूजा स्थान में देशी कर्पूर के साथ जलाएँ। फिर भस्म से तिलक करके बाहर जाए¡। यह प्रयोग आपके जीवन में समस्त शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होगा, वहीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करने में सक्षम होंगे।<br />
<br />
42॰ कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।<br />
<br />
43॰ अगर अचानक धन लाभ की स्थितियाँ बन रही हो, किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो, तो गोपी चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है। <br />
<br />
44॰ अकस्मात् धन लाभ के लिये शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के वृक्ष पर लगाना चाहिए। यदि व्यवसाय में आकिस्मक व्यवधान एवं पतन की सम्भावना प्रबल हो रही हो, तो यह प्रयोग बहुत लाभदायक है।<br />
<br />
45॰ अगर आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हों, तो मन्दिर में केले के दो पौधे (नर-मादा) लगा दें।<br />
<br />
46॰ अगर आप अमावस्या के दिन पीला त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लहराता हुआ रहे, तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा। झंडा लगातार वहाँ लगा रहना चाहिए। यह अनिवार्य शर्त है।<br />
<br />
47॰ देवी लक्ष्मी के चित्र के समक्ष नौ बत्तियों का घी का दीपक जलाए¡। उसी दिन धन लाभ होगा।<br />
<br />
48॰ एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मोली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएँ। धन लाभ होगा।<br />
<br />
49॰ पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएँ एवं पीछे मुड़कर न देखें। धन लाभ होगा।<br />
<br />
50॰ प्रात:काल पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें और घर से बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाए¡। घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें।<br />
<br />
51॰ एक हंडिया में सवा किलो हरी साबुत मूंग की दाल, दूसरी में सवा किलो डलिया वाला नमक भर दें। यह दोनों हंडिया घर में कहीं रख दें। यह क्रिया बुधवार को करें। घर में धन आना शुरू हो जाएगा। <br />
<br />
52॰ प्रत्येक मंगलवार को 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चन्दन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें। `जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई´ 7 मंगलवार लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। अवश्य लाभ होगा।<br />
<br />
53॰ अगर नौकरी में तरक्की चाहते हैं, तो 7 तरह का अनाज चिड़ियों को डालें। <br />
<br />
54॰ ऋग्वेद (4/32/20-21) का प्रसिद्ध मन्त्र इस प्रकार है -<br />
`ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।´ <br />
(हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसारभर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं - उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो।) <br />
<br />
51॰ निम्न मन्त्र को शुभमुहूर्त्त में प्रारम्भ करें। प्रतिदिन नियमपूर्वक 5 माला श्रद्धा से भगवान् श्रीकृष्ण का ध्यान करके, जप करता रहे -<br />
“ॐ क्लीं नन्दादि गोकुलत्राता दाता दारिद्र्यभंजन।<br />
सर्वमंगलदाता च सर्वकाम प्रदायक:। श्रीकृष्णाय नम:।।´´<br />
<br />
52॰ भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष भरणी नक्षत्र के दिन चार घड़ों में पानी भरकर किसी एकान्त कमरे में रख दें। अगले दिन जिस घड़े का पानी कुछ कम हो उसे अन्न से भरकर प्रतिदिन विधिवत पूजन करते रहें। शेष घड़ों के पानी को घर, आँगन, खेत आदि में छिड़क दें। अन्नपूर्णा देवी सदैव प्रसन्न रहेगीं। <br />
<br />
53॰ किसी शुभ कार्य के जाने से पहले -<br />
रविवार को पान का पत्ता साथ रखकर जायें।<br />
सोमवार को दर्पण में अपना चेहरा देखकर जायें।<br />
मंगलवार को मिष्ठान खाकर जायें।<br />
बुधवार को हरे धनिये के पत्ते खाकर जायें।<br />
गुरूवार को सरसों के कुछ दाने मुख में डालकर जायें।<br />
शुक्रवार को दही खाकर जायें।<br />
शनिवार को अदरक और घी खाकर जाना चाहिये।<br />
<br />
54॰ किसी भी शनिवार की शाम को माह की दाल के दाने लें। उसपर थोड़ी सी दही और सिन्दूर लगाकर पीपल के वृक्ष के नीचे रख दें और बिना मुड़कर देखे वापिस आ जायें। सात शनिवार लगातार करने से आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली बनी रहेगी।spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1897546591258723319.post-21510639505149859652011-06-24T05:27:00.001-07:002011-06-24T05:27:37.568-07:00बुद्धि और ज्ञानबुद्धि और ज्ञान<br />
1॰ माघ मास की कृष्णपक्ष अष्टमी के दिन को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में अर्द्धरात्रि के समय रक्त चन्दन से अनार की कलम से “ॐ ह्वीं´´ को भोजपत्र पर लिख कर नित्य पूजा करने से अपार विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है।<br />
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2॰ उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।<br />
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।<br />
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।<br />
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।<br />
(का॰1, अनु॰5, सू॰29)<br />
यह सूर्य ऊपर चला गया है, मेरा यह मन्त्र भी ऊपर गया है, ताकि मैं शत्रु को मारने वाला होऊँ। प्रतिद्वन्द्वी को नष्ट करने वाला, प्रजाओं की इच्छा को पूरा करने वाला, राष्ट्र को सामर्थ्य से प्राप्त करने वाला तथा जीतने वाला होऊँ, ताकि मैं शत्रु पक्ष के वीरों का तथा अपने एवं पराये लोगों का शासक बन सकूं।<br />
21 रविवार तक सूर्य को नित्य रक्त पुष्प डाल कर अर्ध्य दिया जाता है। अर्ध्य द्वारा विसर्जित जल को दक्षिण नासिका, नेत्र, कर्ण व भुजा को स्पर्शित करें। प्रस्तुत मन्त्र `राष्ट्रवर्द्धन´ सूक्त से उद्धृत है।<br />
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३॰ बच्चों का पढ़ाई में मन न लगता हो, बार-बार फेल हो जाते हों, तो यह सरल सा टोटका करें-<br />
शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घंटा पहले बड़ के पत्ते पर पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाईयां तथा दो छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धा भाव से रखें और अपनी शिक्षा के प्रति कामना करें। पीछे मुड़कर न देखें, सीधे अपने घर आ जाएं। इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें। यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं।<br />
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४॰ श्री गोस्वामी तुलसीदास विरचित “अत्रिमुनि द्वारा श्रीराम स्तुति´´ का नित्य पाठ करें। निम्न छन्द अरण्यकाण्ड में वर्णित है।<br />
`मानस पीयूष´ के अनुसार यह `राम चरित मानस की नवीं स्तुति है और नक्षत्रों में नवाँ नक्षत्र आश्लेषा (नक्षत्र स्वामी-बुध) है। अत: जीवन में जिनको सर्वोच्च आसन पर जाने की कामना हो, वे इस स्तोत्र को भगवान् श्रीराम / रामायणी हनुमान के चित्र या मूर्ति के समक्ष बैठकर नित्य पढ़ें।<br />
।।श्रीअत्रि-मुनिरूवाच।।<br />
नमामि भक्त-वत्सलं, कृपालु-शील-कोमलम्।<br />
भजामि ते पदाम्बुजं, अकामिनां स्व-धामदम्।।1<br />
निकाम-श्याम-सुन्दरं, भवाम्बु-नाथ मन्दरम्।<br />
प्रफुल्ल-कंज-लोचनं, मदादि-दोष-मोचनम्।।2<br />
प्रलम्ब-बाहु-विक्रमं, प्रभो·प्रमेय-वैभवम्।<br />
निषंग-चाप-सायकं, धरं त्रिलोक-नायकम्।।3<br />
दिनेश-वंश-मण्डनम्, महेश-चाप-खण्डनम्।<br />
मुनीन्द्र-सन्त-रंजनम्, सुरारि-वृन्द-भंजनम्।।4<br />
मनोज-वैरि-वन्दितं, अजादि-देव-सेवितम्।<br />
विशुद्ध-बोध-विग्रहं, समस्त-दूषणापहम्।।5<br />
नमामि इन्दिरा-पतिं, सुखाकरं सतां गतिम्।<br />
भजे स-शक्ति सानुजं, शची-पति-प्रियानुजम्।।6<br />
त्वदंघ्रि-मूलं ये नरा:, भजन्ति हीन-मत्सरा:।<br />
पतन्ति नो भवार्णवे, वितर्क-वीचि-संकुले।।7<br />
विविक्त-वासिन: सदा, भजन्ति मुक्तये मुदा।<br />
निरस्य इन्द्रियादिकं, प्रयान्ति ते गतिं स्वकम्।।8<br />
तमेकमद्भुतं प्रभुं, निरीहमीश्वरं विभुम्।<br />
जगद्-गुरूं च शाश्वतं, तुरीयमेव केवलम्।।9<br />
भजामि भाव-वल्लभं, कु-योगिनां सु-दुलर्भम्।<br />
स्वभक्त-कल्प-पादपं, समं सु-सेव्यमन्हवम्।।10<br />
अनूप-रूप-भूपतिं, नतोऽहमुर्विजा-पतिम्।<br />
प्रसीद मे नमामि ते, पदाब्ज-भक्तिं देहि मे।।11<br />
पठन्ति से स्तवं इदं, नराऽऽदरेण ते पदम्।<br />
व्रजन्ति नात्र संशयं, त्वदीय-भक्ति-संयुता:।।12<br />
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हे भक्तवत्सल ! हे कृपालु ! हे कोमल स्वभाववाले ! मैं आपको नमस्कार करता हू¡। निष्काम पुरूषों को अपना परमधाम देनेवाले आपके चरणकमलों को मैं भजता हू¡।<br />
आप नितान्त सुन्दर श्याम, संसार (आवागमन) रूपी समुद्र को मथने के लिये मन्दराचल रूप, फूले हुए कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं।<br />
हे प्रभो ! आपकी लम्बी भुजाओं का पराक्रम और आपका ऐश्वर्य अप्रमेय (बुद्धि के परे) है। आप तरकस और धनुष-बाण धारण करने वाले तीनों लोकों के स्वामी हैं।<br />
सूर्यवंश के भूषण, महादेव जी के धनुष को तोड़ने वाले, मुनिराजों और सन्तों को आनन्द देने वाले तथा देवताओं के शत्रु असुरों के समूह का नाश करने वाले हैं।<br />
आप कामदेव के शत्रु महादेव जी के द्वारा वन्दित, ब्रह्मा आदि देवताओं से सेवित, विशुद्ध ज्ञानमय विग्रह और समस्त दोषों को नष्ट करने वाले हैं।<br />
हे लक्ष्मीपते ! हे सुखों की खान और सत्पुरूषों की एकमात्र गति ! मैं आपको नमस्कार करता हू¡। हे शचीपति (इन्द्र) के प्रिय छोटे भाई (वामनजी) ! शक्ति-स्वरूपा श्रीसीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित आपको मैं भजता हू¡।<br />
जो मनुष्य मत्सर (डाह) रहित होकर आपके चरणकमलों का सेवन करते हैं, वे तर्क-वितर्क (अनेक प्रकार के सन्देह) रूपी तरंगों से पूर्ण संसार रूपी समुद्र में नहीं गिरते।<br />
जो एकान्तवासी पुरूष मुक्ति के लिये, इन्द्रियादि का निग्रह करके (उन्हें विषयों से हटाकर) प्रसन्नतापूर्वक आपको भजते हैं, वे स्वकीय गति को (अपने स्वरूप को) प्राप्त होते हैं।<br />
उन (आप) को जो एक (अद्वितीय), अद्भूत (मायिक जगत् में विलक्षण), प्रभु (सर्वसमर्थ), इच्छारहित, ईश्वर (सबके स्वामी), व्यापक, जगद्गुरू, सनातन (नित्य), तुरीय (तीनों गुणों से सर्वथा परे) और केवल (अपने स्वरूप में स्थित) हैं।<br />
(तथा) जो भावप्रिय, कुयोगियों (विषयी पुरूषों) के लिये अत्यन्त दुर्लभ, अपने भक्तों के लिये कल्पवृक्ष, सम और सदा सुखपूर्वक सेवन करने योग्य हैं, मैं निरन्तर भजता हू¡।<br />
हे अनुपम सुन्दर ! हे पृथ्वीपति ! हे जानकीनाथ ! मैं आपको प्रणाम करता हू¡। मुझपर प्रसन्न होइये, मैं आपको नमस्कार करता हू¡। मुझे अपने चरणकमलों की भक्ति दीजिये।<br />
जो मनुष्य इस स्तुति को आदरपूर्वक पढ़ते हैं, वे आपकी भक्ति से युक्त होकर आपके परमपद को प्राप्त होते हैं, इसमें सन्देह नहीं है।<blockquote><blockquote><blockquote></blockquote></blockquote></blockquote>spritualworldhttp://www.blogger.com/profile/06765925436551708037noreply@blogger.com0